short notes on earthquake in hindi





                                                    भूकम्प ( Earthquake )





          पृथ्वी के भूपटल पर किसी ज्ञात, अज्ञात, प्राकृतिक , कृत्रिम कारणों से होने वाले कम्पन्न को भूकंप कहते है। भूकंप आने से पहले क्षेत्र विशेष में रेडान गैस की मात्रा अधिक हो जाती है, जिससे पक्षियाँ पलायन कर जाती है। जब प्लेटो पर असंतुलित बल लगता है तो वह प्लेटे मुड़ने लगती है। प्रत्येक प्लेट की एक प्रत्याशितः सीमा होती है अर्थात उस सीमा से अधिक मुड़ने पर वह टूट जाती है। टूटने पर एक प्रकार की ऊर्जा निकलती है और यह ऊर्जा तरंग के रूप में चलती है जिसे सिस्मिक( Seismic) तरंग कहते है। जो कि इस प्रकार है-


          1. P- तरंग ( Primary Wave)- यह तरंग पृथ्वी के अंदर प्रत्येक माध्यम ( ठोस, द्रव, गैस ) से होकर गुजराती है। इसका औसत वेग 8 किलोमीटर प्रति सेकण्ड होता है। तथा यह धरातल पर सबसे पहले पहुंचती है।

          2. S- तरंग ( Secondary Wave)- यह तरंग केवल ठोस माध्यम में चलती है। इसका औसत वेग लगभग 4 किलोमीटर प्रति सेकण्ड होता है।

             3. L-तरंग (Love Wave )- इन्हे धरातलीय या लम्ब तरंग कहते है। इनकी खोज H. D. Love ने की थी। अतः इन्हे love तरंगो के नाम से जाना जाता है। ये तरंगे तीनो माध्यम ( ठोस, द्रव तथा गैस ) से होकर गुजरती है। इनका औसत वेग 1.5 -3 किलोमीटर प्रति सेकण्ड होता है। यह सबसे विनाशकारी तरंग होती है।


           भूकंप मूल -धरातल के निचे जिस स्थान पर भकंप की घटना की शुरुवात होती है उसे भकंप मूल कहा जाता है।


          अधिकेंद्र (Epicenter )- भूकंप मूल के ठीक ऊपर लम्बवत स्थान जहाँ सबसे पहले भूकम्पीय तरंगो का पताचलता है। अधिकेंद्र कहलाता है।


          Seismograph - जो यंत्र भूकंप की तीव्रता मापने में इस्तेमाल किया जाता है Seismograph कहलाता है। इसके तीन स्केल है -
          
          a) रासीफेरल
          b) मरकेली स्केल
          c) रिक्टर स्केल


          रिक्टर स्केल -यह गणितीय मापक है जिसकी तीव्रता 0-9 के बीच होती है। रिक्टर स्केल पर प्रत्येक बिंदु दूसरे बिंदु से 10 गुना अधिक तीव्रता वाला होता है।


                                                   भूकंप का विश्व वितरण 


           1 प्रशांत महासागर तटीय पेटी -इस पेटी में विश्व के 68% भूकम्पों का अनुभव किया जाता है। इस क्षेत्र को अग्नि वलय ( Ring of Fire ) के नाम से जाना जाता है। इसके प्रमुख क्षेत्र -- चिली , अलास्का, जापान आदि।



            2. मध्य महाद्वीपीय पेटी - इस पेटी में विश्व के 21% भूकंप आते है। यह मैक्सिको से शुरू होकर अटलांटिक महासागर, भूमध्य सागर और हिमालय क्षेत्र के समीप तक फैली हुई है।


                                                 भारत का भूकम्पीय क्षेत्र -


            1 हिमालय का क्षेत्र - यह भारत का सबसे बड़ा भूकंप क्षेत्र है जिसका प्रमुख कारण नवीन वलित पर्वतीय क्षेत्र।


            2  मैदानी क्षेत्र - भारत का उत्तरीय मैदानीय भाग जिसमे गंगा, सिंधु, ब्रम्हपुत्र , का मैदानी भाग आता है। यहाँ पर भूकंप मुख्यतः हिमालय क्षेत्र पर भूगर्भी घटनाओ के कारण उत्पन्न होता है।


             दक्षिणीय प्रायद्वीपीय क्षेत्र - इस क्षेत्र में भूकंप का उदभव बहुत कम होता है। कभी-कभी दरारों इत्यादि से यह उत्पन्न हो सकते है। जैसे - कोयना ( 1967), लातूर ( 1993 ) का भूकंप।

            भारत में भूकम्पीय तरंगो का मापन निम्न केन्द्रो पर होता है - दिल्ली , देहरादून , कोलकाता , मुम्बई , पुणे।

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                                                   अब इसके आगे अगले भाग में                                                                                                                   
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