Hindi me NCERT History Class-6 (Chapter-7) Notes in Hindi -7

hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-6 ( Chapter-7) Notes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी। 


Chapter-7

नए प्रश्न नए विचार :


बुद्ध की कहानी :

  • बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्धार्थ थे जिन्हे गौतम के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म लगभग 2500 वर्ष पूर्व हुआ था। 
  • बुद्ध क्षत्रीय थे तथा ' शाक्य ' नमक एक छोटे से गण से सम्बंधित थे। 
  • ज्ञान की प्राप्ति -- बोध गया ( बिहार ) में एक पीपल वृक्ष के निचे हुआ। 
  1. बुद्ध ने प्रथम उपदेश वाराणसी के निकट सरनाथ में दिया। 
  2. इनकी मृत्यु किशिनारा ( कुशीनगर ) में हुई। 
  • इनकी शिक्षा -- जीवन कष्टों और दुखों से भरा हुआ है, लालशा या तृष्णा से मुक्ति का माष्यम आत्म संयम है। 
  • बुद्ध ने अपनी शिक्षा सामान्य लोगों  प्राकृत भाषा में दी। 
  • बुद्ध ने कहा कि लोग किसी शिक्षा को केवल इसलिए नहीं स्वीकार करें कि उनका उपदेश है, बल्कि वे उसे अपने विवेक से मापें। 

उपनिषद् :

  • उपनिषद् का शाब्दिक अर्थ है ' गुरु के समीप बैठना ' 
  • उपनिषद् उत्तर वैसिक ग्रंथों का हिस्सा थे। ( 3500 वर्ष के बाद के समय लिखा गया )
  • उपनिषद में मृत्यु के बाद जीवन पर चर्चा है।  यज्ञ की महत्ता और मृत्यु के बाद आत्मा के अस्तित्व को स्वीकारा गया है। 
  • इसमें सामान्य ज्ञान चर्चाओं का उल्लेख है जिनमे पुरुष ब्राम्हण तथा राजा होते थे परन्तु यहाँ पर गार्गी जैसी स्त्री -विचारकों का भी उल्लेख मिलता है। 
  1. इसमें निर्धन व्यक्ति बहुत काम भाग लेते थे। 
  2. निर्धन वर्ग के लिए सत्यकाम जावाल एक अपवाद है जो गौतम नमक एक ब्राम्हण का शिष्य था। 
  • उपनिषदों के कई विचारों का विकास बाद में प्रसिद्ध विचारक शंकराचार्य द्वारा किया गया। 

व्याकरणविद पाणिनि :



  • पाणिनि ने संस्कृत भाषा के व्याकरण की रचना की। 
  • इन्होने स्वरों तथा व्यंजनों को एक विशेषक्रम में रखकर लगभग 3000 लघु सूत्रों की रचना की। 


जैन धर्म :


  • प्रवर्तक महावीर स्वामी ( लगभग 2500 वर्ष पूर्व )
  • महावीर वज्जि संघ के लच्छिवि कुल के एक क्षत्रिय राजकुमार थे। 
  • 30 वर्ष की आयु में इन्होने घर छोड़ दिया। और 12 वर्ष के कठिन तप के बाद इन्हे ज्ञान प्राप्त हुआ। 
  • इनकी शिक्षा --इनकी शिक्षा सरल थी। 
  • इनका मानना था कि सत्य जानने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक स्त्री पुरुष को अपना घर छोड़ देना चाहिए और अहिंसा के नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए अर्थात किसी भी जीव को न तो कष्ट देना चाहिए और न ही उनकी हत्या करनी चाहिए। 
  • महावीर ने अपनी शिक्षा प्राकृत भाषा में दी थी ताकि आम लोग उन्हें समझ सके। 
  • जैन शब्द जिन से निकला है जिसका अर्थ है विजेता। 
  • जैन अजुयायियों को भिक्षा मांग कर सदा जीवन विटाना होता था और उन्हें पूरी तरह से ईमानदार होना पड़ता था तथा चोरी न करने की सख्त हिदायत थी। 
  • इन्हे ब्रम्हचर्य का पालन करना होता था पुरुषों को वस्त्रों सहित सब कुछ त्याग देना पड़ता था। 
  • मुख्यतः व्यापारियों ने जैन धर्म का समर्थन किया।  किसानों के लिए इन नियमों का पालन अत्यंत कठिन था। 
  • बाद की सदियों में जैन धर्म, उत्तर भारत के कई हिस्सों के साथ-साथ गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक में बी फ़ैल गया। 
  • वर्त्तमान रूप में उपलब्ध जैन धर्म की शिक्षाएं लगभग 1500 वर्ष पूर्व गुजरात में वल्लभी नमक स्थान पर लिखी गई थी। 

संघ :


  • महावीर तथा बुद्ध दोनों का ही मानना था कि घर त्याग करने पर ही सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे लोगो के लिए उन्होंने संघ नामक संगठन बनाया जहां घर का त्याग करने वाले लोग एक साथ रह सके। 
  • संघ में रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं के लिए बनाए गए नियम विनयपिटक नामक ग्रन्थ में मिलते है। 
  • सभी व्यक्ति संघ में प्रवेश ले सकते थे, पुरुष व स्त्री के लिए अलग-अलग रहने की व्यवस्था थी। 
  • संघ में प्रवेश के लिए वच्चों को अपने माता-पिता से, दासों को अपने स्वामी से, राजा के यहाँ काम करने वाले लोगो को राजा से, तथा कर्जदारों को अपने देनदारों से अनुमति लेनी होती थी। 
  • संघ में प्रवेश लेने वाले व्यक्ति सादाजीवन, अधिकांश समय ध्यान में, दिन के एक निश्चित समय में भिक्षा मांगकर व आम लोगों को शिक्षा देते हुए जीवन व्यतीत करते थे। 

विहार :


  • वर्षा ऋतू में रहने के लिए शरण स्थल थे जो प्रायः लकड़ियों से, ईंटो से और कभी-कभी पहाड़ियों में गुफाऐं खोदकर बनाए गए। 
  • आरंभिक विहार लकड़ी के बनाए गए और बाद में ईंटों का प्रयोग होने लगा। 
  • पश्चिमी भारत में कुछ विहार पहाड़ियों को खोदकर बनाए गए। 
  • विहार प्रायः किसी धनी व्यापारी, राजा अथवा भू-स्वामी द्वारा दान में दी गई भूमि पर निर्माण होता था। 

आश्रम व्यवस्था :

  • ब्राम्हणों ने आश्रम व्य आस्था का विकास किया। 
  • यहाँ आश्रम का तात्पर्य जीवन के एक चरण से है। 
  • a)- ब्रम्हचर्य : ब्रम्हचर्य के अंतर्गत ब्राम्हण, क्षत्रिय तथा वैश्य से यह अपेक्षा की जाती थी कि इस चरण के दौरान वे सादा जीवन बिताकर वेदों का अध्ययन करेंगें। 
  • b)-गृहस्थ : गृहस्थ आश्रम के अंतर्गत उन्हें विवाह कर एक गृहस्थ के रूप में रहना होता था। 
  • c)- वान प्रस्थ : वान प्रस्थ के अंतर्गत उन्हें जंगल में रहकर साधना करनी थी। 
  • d)- सन्यास : उन्हें सब कुछ त्याग कर सन्यासी बन जाना था। 
  • नोट : यहाँ पर प्रायः स्त्रियों को वेद पढ़ने की अनुमति नहीं थी और उन्हें अपने पतियों द्वारा पालन किए जाने वाले आश्रमों का ही अनुशरण करना होता था। 

अन्यत्र -जरथुस्त्र :

  • जरथुस्त्र एक ईरानी पैगम्बर थे। इनकी शिक्षाओं का संकलन जेंद-अवेस्ता नामक ग्रन्थ में मिलता है। 
  • जेंद-अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति-रिवाज, वेदों की भाषा और रीति-रिवाजों से काफी मिलते-जुलते है। 
  • जरथुस्त्र की मूल शिक्षा का सूत्र है : 'सद- विचार, सद-वचन तथा सद-कार्य '
  • एक हजार से अधिक वर्षों तक जरथुस्त्रवाद ईरान का एक प्रमुख धर्म रहा। बाद में कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय नगरों में बस गए। वे लोग ही आज के पारसियों के पूर्वज है। 

विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे- 

राजनीति शाश्त्र-

इसे भी पढ़ें -

संविधान का निर्माण

प्रस्तावना

भारतीय संविधान के स्रोत एवं विशेषताएं

संघ और उसका राज्य क्षेत्र

नागरिकता

मौलिक अधिकार

राज्य के नीति निर्देशक तत्व

मौलिक कर्त्तव्य

केन्द्रीय कार्यपालिका

राज्य की कार्यपालिका

राज्य विधानमंडल

भारत में स्थानीय स्वशासन

संघ राज्य क्षेत्र, अनुसूचित तथा जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन

इतिहास पढ़ने के लिए नीचेदिए गए लिंक क्लिक करें-

इसे भी पढ़ें -


इसे भी पढ़े :

Chapter-1

Chapter-2

Chapter-3

Chapter-4

Chapter-5

Chapter-6

Chapter-8

आप सभी को यह पोस्ट कैसी लगी इसके बिषय में अपनी राय जरूर दे। 
अपना कीमती सुझाव जरूर दे धन्यवाद। 

कोई टिप्पणी नहीं

If you have any doubt , Please let me know

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();