hindi me NCERT History Class-6 (Chapter-3) Notes in Hindi-3
Chapter-3
भोजन : संग्राहक से उत्पादक तक :
खेती और पशुपालन की शुरुआत
- सबसे पहले जिस जंगली जानवर को पालतू बनाया गया वह कुत्ते का जंगली पूर्वज था।
- इन्होने झुण्ड में रहने वाले ज्यादातर घास खाने वाले जानवरो को पालतू बनाया जैसे-बकरी, गाय और सूअर आदि।
- लोगो द्वारा पौधे उगाने और जानवरों की देखभाल करने को 'बसने 'की प्रक्रिया का नाम दिया गया है।
- बसने की प्रक्रिया करीब बारह हजार साल पहले शुरू हुई।
- सबसे पहले कृषि के लिए अपनाई गई गेहूं और जौं।
पुरास्थलों से प्राप्त चीज़ें
- गेहूँ , जौ ,भेड़ ,बकरी, मवेशी --मेहरगढ़ ( आधुनिक पाकिस्तान )
- चावल, जानवरों की हड्डियों के टुकड़े ---कोल्डिहवा ( आधुनिक उत्तर प्रदेश )
- चावल, मवेशी ( मिट्टी पर खुरो के निशान )---महागढ़ा (आधुनिक उत्तर प्रदेश )
- गेहूं और दलहन ---गुफक्राल (आधुनिक कश्मीर )
- गेहूं और दलहन, कुत्ते, मवेशी,भैस,भेड़ , बकरी ---बुर्जहोम ( आधुनिक कश्मीर )
- गेहूं,हरे चने जौ , भैंस ,बैल --- चिरौंद (आधुनिक आंध्र प्रदेश )
- ज्वार-बाजरा, मवेशी, भेड़ , बकरी,सूअर ----हल्लुर ( आधुनिक आंध्र प्रदेश )
- काला चना , ज्वार-बाजरा , मवेशी, भेड़ ,सूअर ----पैय्यामवल्ली ( आधुनिक आंध्र प्रदेश )
बुर्जहोम ( वर्त्तमान कश्मीर )
- बुर्जहोम के लोग गढ्ढ़े के नीचे घर बनाते थे जिन्हे गरतावास कहा जाता है।
- इनमे उतरने के लिए सीढियाँ होती थी।
- पुरातत्वविदों को झोपड़ियों के अंदर और बाहर दोनों ही स्थानों पर आग जलाने की जगहें मिली है।
मेहरगढ़ ( आधुनिक पाकिस्तान )
- यह ईरान जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण रस्ते, बोलन दर्रे के पास एक हराभरा समतल स्थान है।
- इस इलाके में सबसे पहले स्त्री- पुरुषों ने जौ , गेहूं उगाना और भेड़ - बकरी पालना सीखा।
- मेहरगढ़ में बस्ती का आरम्भ ( लगभग आठ हजार साल पहले ) हुआ।
- मेहरगढ़ में इसके आलावा चौकोर तथा आयताकार घरों के अवशेष भी मिले है। प्रत्येक घर में चार या उससे ज्यादा कमरे है, जिसमे से कुछ संभवतः भण्डारण के काम आते होंगे।
- लोगों की आस्था है की मृत्यु के बाद भी जीवन होता है। इसीलिए कब्रों में मृतकों के साथ कुछ सामान भी रखे जाते थे। मेहरगढ़ में ऐसी कई कब्रे मिली है। एक कब्र में एक मृतक के साथ एक बकरी को भी दफनाया गया था। संभवतः इसे परलोक में मृतक के खाने के लिए रखा गया होगा।
दाओजली हेडिंग
- यह पुरास्थल चीन और म्यांमार की ओर जाने वाले रस्ते में ब्रम्हपुत्र की घाटी की एक पहाड़ी पर है।
- यहाँ खरल और मूसल जैसे पत्थरो के उपकरण मिले है। इससे पता चलता है की यहाँ लोग भोजन के लिए अनाज उगते थे।
- यहाँ से जेडाईट पत्थर भी मिला है। संभवतः यह पत्थर चीन से आया होगा।
- इसके अतिरिक्त इस पुरास्थल से काष्ठाश्म ( अति प्राचीन लकड़ी जो सख्त होकर पत्थर बन गई है ) के औजार और बर्तन भी मिले है।
नोट--आज हजारों साल बाद भी ओखली और मूसल का प्रयोग अनाज पीसने के लिए किया जाता है।
चताल ह्यूक ( तुर्की )
- यह नवपाषाण काल का सबसे प्रमुख स्थल है जहाँ सीरिया से लाया गया चकमक पत्थर लाल सागर की कौड़िया तथा भूमध्य सागर की सीपियाँ मिली है।
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