Hindi me NCERT History Class-6 (Chapter-5) Notes in Hindi -5
Chapter-5
क्या बताती है हमे किताबें और कब्रें :
वेद ( ऋग्वेद )-दुनिया के प्राचीनतम ग्रंथों में से एक :
- वेद चार है -ऋग्वेद, सामवेद , यजुर्वेद तथा अथर्वेद।
- सबसे पुराना वेद है ऋग्वेद जसकी रचना लगभग 3500 साल पहले हुई।
- ऋग्वेद में एक हजार से ज्यादा प्रार्थनाएं है जिन्हे सूक्त कहा गया है।
- सूक्त का मतलब है, अच्छी तरह से बोला गया।
- ये विभिन्न देवी-देवताओं की स्तुति में रचे गये।
- इनमे तीन देवता बहुत महत्वपूर्ण है- a)-अग्नि -( आग के देवता ) b)-इंद्र -( युद्ध के देवता ) तथा c)-सोम-( एक पौधा जिससे एक खास पेय बनाया जाता था।
- ऋग्वेद की भाषा प्राक संस्कृत या वैदिक संस्कृत कहलाती हैं।
- ऋग्वेद का उच्चारण किया जाता था और श्रवण किया जाता था , न कि पढ़ा जाता था।
नोट : वैदिक प्रर्थनओं की रचना ऋषियों ने थी। कुछ प्रार्थनाओं की रचना महिलाओं ने भी की थी।
मवेशी , घोड़े और रथ :
- ऋग्वेद में मवेशियों , बच्चों ( खास कर पुत्रों ) और घोड़ों की प्राप्ति के लिए अनेक प्राथनाएं है।
- घोड़ों को लड़ाई में रथ खींचने के काम में लाया जाता था।
- लड़ाईयां जमीन के लिए कुछ पानी के स्रोतों और लोगो को बंदी बनाने के लिए भी लड़ी जाती थी।
- युद्ध में जीते गए धन का कुछ भाग सरदार और कुछ हिस्सा पुरोहित रखता था , शेष धन आमलोगों में बाँट दिया जाता था।
- कुछ धन यज्ञ करने के लिए भी प्रयुक्त होता था।
- यज्ञ में घी ,अनाज और कभी-कभी जानवरों की भी आहुति दी जाती थी।
- अधिकांश पुरुष युद्ध में भाग लेते थे।
- इनकी कोई स्थाई सेना नहीं होती थी।
- ये बहादुर और कुशल योध्दा को अपना सरदार चुनते थे।
लोगो की विशेषता बताने वाले शब्द :
- लोगो का वर्गीकरण काम, भाषा, परिवार या समुदाय, निवास स्थान या सांस्कृतिक परंपरा के आधार पर किया जाता था।
- पुरोहित जिन्हे कभी-कभी ब्राम्हण कहा जाता था तरह-तरह के यज्ञ और अनुष्ठान करते थे।
- राजा- ये न तो बड़ी राजधानियों और न महलों में तहते थे म न इनके पास सेना थी, न ही ये कर वसूलते थे।
- प्रायः राजा की मृत्यु के बाद उसका बेटा अपने आप ही शासक नहीं बन जाता था।
- जनता या पूरे समुदाय के लिए दो शब्दों का प्रयोग होता था - a) जनता तथा b) विश या वैश्य।
- ऋग्वेद में विश और जनों के नाम मिलते है। इसीलिए हमे पुरु-जान या विश , भरत-जन या विश , यदु-जन या विश जैसे कई उल्लेख मिलते है।
- जिन लोगों ने इन प्रार्थनाओं की रचना की वे कभी-कभी खुद को आर्य कहते थे , अपने विरोधिओं को दास या दस्यु कहते थे।
- दस्यु वे लोग थे जो यज्ञ नहीं करते थे और शायद दूसरी भाषा बोलते थे।
- बाद के समय में दास ( स्त्रीलिंग: दासी ) शब्द का मतलब गुलाम हो गया।
महापाषाण कब्रें :
- प्रथा लगभग 3000 साल पहले शुरू हुई।
- यह प्रथा, दक्कन, दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्वी भारत और कश्मीर में प्रचलित थी।
- कुछ महापाषाण जमीन की ऊपर ही दिख जाते है। कुछ महापाषाण जमीन के भीतर भी होते हैं।
- सामान्यतः मृतकों को खास किस्म के मिटटी के बर्तनो के साथ दफनाया जाता था , जिन्हे काले-लाल मिटटी के बर्तनों ( ब्लैक एंड रेड वेयर ) के नाम से जाना जाता है। इनके साथ ही मिले है लोहे के औजार और हथियार, घड़े के कंकाल और सामान तथा पत्थर और सोने के गहने।
- ब्रम्हगिरी ( कर्नाटक ) में एक कब्र में 33 सोने के मनके और शंख पाए गए है।
- इनाम गांव - ( महाराष्ट्र ) यह भीमा की सहायक नदी घोड़ के किनारे एक जगह है।
- यहाँ एक आदमी को पांच कमरों वाले मकान के आंगन में चार पैरों वाले मिट्टी के एक बड़े से संदूक में दफनाया गया था।
- इनाम गांव में पुरातत्वविदों को गेहूं, जौ , चावल, दाल, बाजरा, मटर और तिल के बीज , कई जानवरो ( गाय ,बैल, भैंस, बकरी, भेड़ा ,कुत्ता, घोड़ा , गधा, सूअर, सांभर, चितकबरा हिरण ,कृष्ण-मृग, खरहा, नेवला, चिड़ियाँ, घड़ियाल, कछुआ, केकड़ा और मछली ) की मिली है और बेर, आंवला, जामुन, खजूर तथा कई तरह की रसभरियां एकत्र की जाती थी।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ :
- वेदों की रचना का आरम्भ -( लगभग 3500 साल पहले )
- महापाषाण के निर्माण की शुरुआत ( लगभग 3000 साल पहले )
- इनामगांव के कृषको का निवास ( 3600 से 2700 साल पहले )
- चरक ( लगभग 2000 साल पहले )
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