Hindi me NCERT History Class-6 (Chapter-4) Notes in Hindi -4




Chapter-4

आरम्भिक नगर 

सिंधु या हड़प्पा सभ्यता 

  1. ये नगर आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों, भारत के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब प्रांतों में मिले है। 
  2. इन शहरों का निर्माण 4700 वर्ष पहले हुआ था या 2700 ईसा पूर्व। 
  3. लगभग 150 वर्ष पहले पंजाब में रेलवे लाइन बिछाते समय इंजीनियरों को अचानक हड़प्पा सभ्यता मिली। 
  • उसके बाद 80 साल पहले पुरातत्वविदों ने इस स्थल को ढूंढा। 
  • चूँकि इस नगर की खोज सबसे पहले हुई थी, इसीलिए बाद में मिलने वाले इस तरह के सभी पुरास्थलों में जो इमारते और चीजें मिली उन्हें हड़प्पा सभ्यता की इमारते कहा गया। इन शहरों का निर्माण लगभग 4700 वर्ष पहले हुआ था। 
  • हड़प्पा रावी नदी किनारे स्थित है। 

हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं :

  • नगर दो या उससे ज्यादा हिस्सों में विभाजित थे।  प्रायः पश्चिमी भाग छोटा था लेकिन ऊंचाई पर बना था और पूर्वी हिस्सा बड़ा था लेकिन यह निचले इलाके में थे।  ऊँचाई वाले भाग को पुरातत्वविदों ने नगर दुर्ग कहा और निचले हिस्से को निचला-नगर कहा है। 
  • दोनों हिस्सों की चहर दिवारियाँ पक्की ईंटों की बानी थी। 
  • नगर दुर्ग में कुछ खास इमारतें भी बनाई  गयी जैसे मोहनजोदड़ो में महँ स्नानागार -( विशिष्ट नागरिकों के लिए विशिष्ट अवसरों पर) . 
  • इसमें पानी के र्सव रोकने के लिए प्लास्टर के ऊपर चारकोल की परत चढ़ाई गई थी। 
  • इसमें उतरने के लिए दो तरफ से सीढियाँ बनाई गई थी, और इसके चारो ओर कमरें बनाई गई थी। 
  • कालीबंगा और लोथल जैसे अन्य नगरों में अग्निकुंड मिले है जहाँ संभवतः यज्ञ किए जाते थे। 



  • हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल जैसे कुछ नगरों में बड़े-बड़े भंडार-गृह मिले है। 

भवन , नाले और सड़के :


  • घर आमतौर पर एक या दो मंजिल के होते थे। 
  • घर के आंगन के चरों ओर कमरें बनाए जाते थे। 
  • अधिकांश घरों में एक अलग स्नान घर होता थाऔर कुछ घरों में कुएँ भी होते थे। 
  • कई नगरों में ढके हुए नाले थे। जिनसे घरों के नाली को जोड़ा जाता था। जगह-जगह पर मेनहोल बनाए जाते थे। 

नगरीय जीवन 

  • यहाँ के शासक नगर की खास इमारतें बनाने की योजना में जुटे रहते थे। 
  • इन नगरों में लिपिक भी होते थे जो मुहरों पर लिखते थे। 
  • इसके अलावा इन नगरों या किसी उद्योग स्थल पर तरह-तरह की चीजे बनाते होंगे। 

नगर और नए शिल्प :

  • पुरातत्वविदों को जो चीजें वहां मिली हैं उनमें अधिकतर पत्थर, शंख, तांबे, कांसे , सोने और चाँदी जैसी धातुओं से बनाई गई थी। 
  • ताँम्बे और कांसे से औजार हथियाँ,गहने और बर्तन बनाए जाते थे। 
  • सोने और चाँदी से गहने और बर्तन बनाए जाते थे। 
  • यहाँ से मिली सबसे आकर्षक वस्तुओं में मनके, बाट और फलक है। 
  • हड़प्पा सभ्यता के लोग पत्थर की मुहरे बनाते थे।  इन आयताकार मुहरों पर सामान्यतः जानवरों की चित्र मिलते है। 
  • हड़प्पा सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाइन किए हुए खूबसूरत लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे। 
  • संभवतः 7000 साल पहले मेहरगढ़ में कपास की खेती होती थी। 
  • मोहनजोदड़ो से कपडे के टुकड़ो के अवशेष चांदी के एक फूलदान के ढक्कन तथा कुछ अन्य तांम्बे की वस्तुओं से चिपके हुए मिले। 
  • पकी मिट्टी तथा फ़्रेयन्स से बनी तकलियाँ सूत कताई का संकेत देती हैं। 
नोट : फ़्रेयन्स : यह कृत्रिम रूप से बालू या स्फटिक पत्थरों के चूर्ण को गोंड में मिलाकर बनाया जाता था। फ़्रेयन्स से मनके, चूड़ियां, बाले और छोटे बर्तन बनाए जाते थे। 

हड़प्पा सभ्यता में आयात :

  • तांबा : राजस्थान, पश्चिमी एशियाई देश ओमान से 
  • टिन : आधुनिक ईरान और अफगानिस्तान से। 
  • सोना : आधुनिक कर्णाटक से। 

बहुमूल्य पत्थर :

गुजरात, ईरान और अफगानिस्तान से 


भोजन 

  • ये अनाज उगाते थे और जानवर पालते थे। 
  • हड़प्पा के लोग गेहूं, जौ , तिल और धान , दालें , मटर और सरसों। 
  • हड़प्पा काल के हल तो नहीं बचे पाए है , क्योंकि वे प्रायः लकड़ी से बनाए जाते थे , लेकिन हल के आकार के खिलौने मिले है। 
  • हड़प्पा के लीग गाय , भैंस , भेड़ , बकरियां पालते थे। 
  • वे बेर जैसे फलों को इकट्ठा करते थे, मछलियां पकड़ते थे, और हिरण जैसे जानवरों का शिकार भी करते थे। 

गुजरात में हड़प्पा कालीन नगर :

धौलावीरा : 
  • यह कच्छ के इलाके में खदिर बेत के किनारे बसा था। 
  • यह नगर दो की जगह तीन भागों में विभक्त था। 
  • इसके हर हिस्से के चारों ओर पत्थर की ऊँची-ऊँची दीवार बनाई गई थी। इसके अंदर जाने के लिए बड़े-बड़े द्वार बने थे। 
  • यहाँ बड़े-बड़े अक्षरों में पत्थरों पर खुदे अभिलेख मिले है ( संभवतः हड़प्पा के लेख मुहर जैसी छोटी वस्तुओं पर पाए जाते है। 
लोथल :
  •  गुजरात की खम्भात की खाड़ी में मिलने वाली साबरमती की एक उपनदी के किनारे लोथल नगर बसा था।
  • यह पत्थरों , शंखों और धातुओं से बनाई गई चीजों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। 
  • इस नगर में एक भंडार गृह भी था। इस भंडार गृह से कई मुहरें और मुद्रांकन या मुहबन्दी ( गीली मिट्टी पर दबाने से बनी उनकी छाप ) मिले है। 
  • लोथल में एक बड़ा तालाब था, संभवतः यह बंदरगाह रहा होगा जहाँ समुद्र के रस्ते आने वाली नावें रूकती थी।  संभवतः यहाँ पर माल चढ़ाया-उतारा जाता होगा। 
  • यहाँ पर एक इमारत मिली है , जहाँ संभवतः मनके बनाने का काम होता था। पत्थर के टुकड़े, अधबने मनके बनाने वाले उपकरण और तैयार मनके भी यहाँ मिले है। 

कुछ महत्वपूर्ण तिथियां : 


  • हड़प्पा नगरों का अंत लगभग 3900 साल पहले। 
  • मेहरगढ़ में कपास की खेती लगभग 7000 साल पहले। 
  • नगरों का आरम्भ लगभग 4700 साल पहले। 
  • अन्य नगरों का विकास लगभग 2500 साल पहले। 


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