Hindi me NCERT History Class-6 (Chapter-10) व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री Notes in Hindi -10
hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-6 ( Chapter-10) व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री Notes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी।
Chapter -10
व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री -
व्यापारी और व्यापार -
- दक्षिण भारत सोना , मसाले, खास तौर पर काली मिर्च तथा कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था।
- काली मिर्च की रोमन साम्राज्य में इतनी माँग थी कि इसे ' काले सोने ' के नाम से बुलाते थे।
- व्यापारियों ने कई समुद्री रास्ते खोज निकाले। वे अफ्रीका या अरब के पूर्वी तट से इस उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर पहुंचना चाहते थे तो दक्षिणी-पश्चिमी मासून के साथ चलना पसंद करते थे।
भारत के समुद्र तटों से लगे राज्य -
- इस उपमहाद्विप के दक्षिण भाग में बड़ा तटीय प्रदेश है। इनमे बहुत से पहाड़ , पठार और नदी के मैदान है।
- नदियों के मैदानी इलाकों में कावेरी का मैदान सबसे उपजाऊ है।
- संगम कविताओं में मुवेंदार एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ तीन मुखिया है।
- इसका प्रयोग तीन शासक परिवारों के मुखियाओं चोल, चेर तथा पाण्ड्य के लिए किया गया है।
- ये करीब 2300 साल पहले दक्षिण भारत में काफी शक्तिशाली माने जाते थे।
- तीनो मुखियाओं के दो-दो सत्ता केंद्र थे जिनमे चोलो का पत्तन पुहार या कवेरीपट्टीनम तथा पांड्यो की राजधानी मदुरै थी।
- ये मुखिया लोगो से नियमित कर के बजाय उपहारों की मांग करते थे। कभी-कभी ये सैनिक अभियानों पर भी निकल पड़ते थे और आस -पास के इलाकों से शुल्क वसूल कर लेट थे।
सातवाहन राजवंश -
- इसके ( चोल, चेर और पाण्ड्य वंश ) लगभग 200 वर्षो के बाद पश्चिम भारत में सातवाहन नामक राजवंश का प्रभाव बढ़ गया। (2100 साल पहले )
- सातवाहनों का सबसे प्रमुख राजा गौतमी पुत्र श्री सातकर्णी था।
- इसके बारे में इसकी माँ गौतमी बलश्री के एक अभिलेख से पता चलता है।
- सातकर्णी और अन्य सभी सातवाहन शासक दक्षिणा पथ के स्वामी कहे जाते थे।
- दक्षिणा पथ का शाब्दिक अर्थ दक्षिण की ओर जाने का रास्ता होता है।
- पूरे दक्षिण क्षेत्र के लिए यही नाम प्रचलित था
- श्री सातकर्णी ने पूर्वी, पश्चिमी तथा दक्षिणी तटों पर अपनी सेनाएं भेजी।
रेशम मार्ग -
- रेशम मार्ग बनाने की तकनीक का अविष्कार सबसे पहले चीन में करीब 7000 साल पहले हुआ।
- जिस रास्ते से ये लोग पश्चिमी देशो में रेशमी कपड़े ले जाते थे वह रेशम मार्ग के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
- करीब २००० साल पहले रोम के शासकों और धनी लोगों के बीच रेशमी कपडे पहनना एक फैसन बन गया।
- सिल्क रूट पर नियंत्रण रखने वाले शासको में सबसे प्रसिद्ध कुषाण थे।
- करीब 2000 साल पहले मध्य एशिया तथा पश्चिमोत्तर भारत पर इनका ( कुषाण ) शासन था।
- पेशावर और मथुरा इनके दो मुख्य शक्तिशाली केंद्र थे।
- इनके शासन काल में ही सिल्क रूट की एक शाखा मध्य-एशिया से होकर सिंधु नदी के मुहाने के पत्तनों तक जाती थी।
- इस उपमहाद्वीप में सबसे पहले सोने के सिक्के जारी करने वाले शासकों में कुषाण थे ( सिल्क रूप पर यात्रा करने वाले व्यापारी इनका उपयोग करते थे।
बौद्ध धर्म का प्रसार -
- कुषाणों का सबसे प्रसिद्ध राजा कनिष्क था। इसने करीब 1900 साल पहले शासन किया।
- कनिष्क ने एक बौद्ध परिषर का गठन किया जिसमें विद्वान् महत्वपूर्ण विषयों रप विचार विमर्श करते थे।
- बुद्ध चरित्र ( बुद्ध की जीवनी ) के रचनाकार कवी अश्वघोष , कनिष्क के दरबार में रहते थे।
- अश्वघोष व अन्य विद्वानों ने अब संस्कृत में लिखना शुरू कर दिया।
- इस समय बौद्ध धर्म की एक नई धारा महायान का विकास हुआ।
- अब बुद्ध की प्रतिमाएं बनाई जाने लगी अधिकांश मथुरा में कुछ तक्षशिला में बनाई गई।
- बोधिसत्व (ज्ञान प्राप्ति के बाद एकांतवास करते हुए ध्यान साधना में परिवर्तन )अब वे लोगों को शिक्षा देने और मदद करने के लिए सांसारिक परिवेश में ही रहना ठीक समझने लगे।
- धीरे-धीरे बोधिसत्व की पूजा पूरे मध्य-एशिया , चीन और बाद में कोरिया तथा जापान तक फ़ैल गई।
- पश्चिमी और दक्षिणी भारत में ज्यादातर गुफाएं अपश्चिमी घाट के दर्रो के पास बौद्ध भिक्षुओं के लिए बनाई गयी
- कुछ गुफाएं राजा, रानियों तो कुछ व्यापारियों तथा कृषकों द्वारा बनवाई गयी।
- बौद्ध धर्म दक्षिण पूर्व की ओर श्रीलंका , म्यांमार, थाइलैंड तथा इंडोनेशिया सहित दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य भागों में भी फैला।
- थेरवाद नामक बौद्ध धर्म का आरम्भिक रूप ें क्षेत्रो में कही अधिक प्रचलित था।
- चीन बौद्ध तीर्थयात्री फा-शिएन , करीब 1600 साल पहले , श्वैनत्सांग ( ह्वेनसांग ) 1400 साल पहले तथा उसके करीब 50 साल बाद इत्सिंग भारत आया।
- फा - शिएन अपने घर चीन वापस लौटने के लिए अपनी यात्रा बंगाल से शुरू की।
- श्वैनत्सांग भू-मार्ग से ( उत्तर-पश्चिम और मध्य-एशिया होकर ) चीन वापस लौटा।
- श्वैनत्सांग तथा अन्य तीर्थयात्रियों ने प्रसिद्ध बौद्ध विद्या केंद्र नालंदा ( बिहार ) में अध्ययन किया।
नालंदा-शिक्षा का केंद्र -
- यहाँ के शिक्षक योग्यता तथा बुद्धि में सबसे आगे है। वे बुद्ध के उपदेशों का पालन करते है। मठ के नियम सख्त है जो सनको मनाने पड़ते है। नए आगंतुकों से पहले द्वारपाल ही कठिन प्रश्न पूछते है सही उत्तर देने पर ही अंदर जाने की अनुमति मिलती है।
भक्ति की शुरुआत -
- भक्ति भज शब्द से बना है, जिसका अर्थ विभाजित करना या हिस्सेदारी होता है। भक्ति भागवत या भगवान के प्रति झुकाव है।
- भागवत का एक अर्थ यह भी है जो अपने ऐश्वर्य तथा सुख को भक्तों के साथ बांटता है।
- भक्ति मार्ग की चर्चा हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ भगवदगीता में की गयी है।
- भगवतगीता महाभारत का एक हिस्सा है।
- भक्तिमार्ग अपनाने वाले लोग आडम्बर के साथ पूजा पाठ करने के बजाए ईश्वर के प्रति लगन और व्यक्तिगत पूजा पर जोर देते थे।
- करीब 1400 साल पहले शिव भक्त अय्यर ने तमिल में कविता लिखी,अय्यर के वेल्लाल था
हिन्दू -
- हिन्दू शब्द इंडिया शब्द की तरह ही सिंधु या इंडस से निकला है।
- यह शब्द अरबों तथा ईरानियों द्वारा उन लोगो के लिए उपयोग किया जाता था, जो सिंधु नदी के पूर्व में रहते थे।
- यही शब्द उनके धार्मिक विश्वास तथा सांस्कृतिक परम्पराओं के लिए भी प्रयुक्त होता था।
अन्यत्र-ईसाई धर्म -
- करीब 2000 साल पहले पश्चिमी एशिया में ईसाई धर्म का उदय हुआ।
- ईसा मसीह का जन्म बेथलेहम में हुआ जो उस समय रोमन साम्राज्य का हिस्सा था।
- इनके उपदेश बाइबल नामक पुस्तक में मिलते है।
- ईसा मसीह के मृत्यु के सौ सालो के अंदर ही भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर पहले ईसाई धर्म के प्रचारक पश्चिमी एशिया से आए।
- केरल के इसाईओं को सीरियाई ईसाई कहा जाता है क्योंकि संभवतः वे पश्चिम एशिया से आए थे , वे विश्व के सबसे पुराने ईसाइयों में से है।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ -
- रेशम बनाने की कला की खोज ( लगभग 7000 साल पहले )
- चोल, चेर तथा पाण्ड्य ( लगभग 2300 साल पहले )
- रोमन-साम्राज्य में रेशम की बढाती मांग ( लगभग 2000 )
- कुषाण शासक कनिष्क ( लगभग 1900 )
- फा-शिएन का भारत आगमन ( लगभग 1600 साल पूर्व )
- श्वैनत्सांग की भारत यात्रा , अय्यार की शिव स्तुति की रचना ( लगभग 1400 )
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