Hindi me NCERT History Class-6 (Chapter-11) नए साम्राज्य और राज्य Notes in Hindi -11





hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-6 ( Chapter-11 )नए साम्राज्य और राज्य Notes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी। 

Chapter-11-

नए साम्राज्य और राज्य-

प्रशस्तियाँ -

  • यह एक विशेष किस्म का अभिलेख है , जिसे प्रशस्ति कहते है। यह एक संस्कृत शब्द है , जिसका अर्थ 'प्रशंसा होता है। 
  • समुद्रगुप्त के बारे में उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा करीब 1700 साल पहले संस्कृत  लिखी एक कविता से पता चलता है। 
  • इलाहाबाद में अशोक स्तम्भ पर इसकी खुदाई की गयी थी। 
  • समुद्रगुप्त की प्रसस्ति में हरिषेण ने उसे एक योद्धा, युद्धों को जीतने वाले राजा, विद्वान तथा उत्कृष्ट कवि बताया है।
  • इसके अलावा इलाहाबाद प्रशस्ति में आर्यावर्त के नौ शासकों का दक्षिणापथ के बारह शासक असम तटीय बंगाल, नेपाल तथा उतर-पश्चिम के कई गण या संघ के  राजाओं बाह्य इलाके के कई शासको जिनमे कुषाण एवं शक के कई शासको की चर्चा की गई है और ये सभी समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकार की थी। 
  • प्रयाग , उज्जैन तथा पाटिलीपुत्र गुप्त शासन के महत्ववपूर्ण केंद्र थे। 
  • प्रशस्तियाँ शासको के वंशावली ( पूर्वजों की सूची ) के विषय में बताती है। जैसे समुद्रगुप्त की वंशावली में पिता चन्द्रगुप्त गुप्त वंश के प्रथम शासक तथा माँ कुमार देवी लिच्छवि गण के बारे में पता चलता है। 
  • समुद्रगुप्त तथा उसके पिता चन्द्रगुप्त ने महाराजाधिराज जैसी बड़ी उपाधि धारण की। 
  • समुद्रगुप्त के बेटे चन्द्रगुप्त-द्वितीय ने पश्चिम भारत में सैन्य अभियान में अंतिम शक शासक को परास्त किया। 
  • कालिदास और आर्यभट्ट चन्द्रगुप्त-द्वितीय के दरबार में थे। 

 हर्षवर्धन -

  • ( करीब 1400 साल पहले शासन किया )
  • हर्षवर्धन के विषय में जानकारी हर्षचरित्र से मिलती है, जो उनके दरबारी कवि बाणभट्ट ने संस्कृत में लिखी है। 
  • चीनी तीर्थयात्री श्वैनत्सांग हर्षवर्धन के दरबार में काफी समय तक रहा। 
  • हर्ष अपने पिता और बड़े भाई की मृत्यु के बाद थानेश्वर के राजा बने। 
  • हर्ष के बहनोई कन्नौज के शासक थे। जब बंगाल के शासक ने उन्हें मार डाला तो हर्ष ने कन्नौज को अपने अधीन कर लिया और बंगाल पर आक्रमण कर दिया और मगध तथा बंगाल को जीता। 
  • हर्ष ने जब नर्मदा नदी को पार कर दक्कन के आगे बढ़ने की कोसिस की तब चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय ने इसे रोक दिया। 

पल्लव, चालुक्य और पुलकेशिन द्वितीय -

  • करीब 1400 साल पहले पल्लव और चालुक्य दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण राजवंश थे। 
  • पल्लव - इनका राज्य उनकी राजधानी कांचींपुरम के आस-पास के क्षेत्रो से लेकर कावेरी नदी के डेल्टा तक फैला था। 
  • चालुक्य -राजधानी -ऐहोल। इनका राज्य कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच था। 
  • ऐहोल एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। धीरे-धीरे यह धार्मिक केंद्र भी बन गया जहाँ कई मंदिर थे। 
  • पल्लव और चालुक्य एक दूसरे की सीमाओं का अतिक्रमण करते थे। मुख्य रूप से राजधानियों को निशाना बनाया जाता था जो समृद्ध शहर थे। 
  • पुलकेशिन द्वितीय -यह सबसे प्रसिद्ध चालुक्य राजा था इसके बारे में उसके दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित प्रशस्ति से पता चलता है। 
  • प्रशस्ति में उसकी चार पीढ़ियों के बारे में बताया है। 
  • पुलकेशिन द्वितीय को यह राज्य अपने चाचा से मिला। 
  • रविकीर्ति के अनुसार उन्होंने पूर्व तथा पश्चिम दोनों समुद्रीय इलाकों में अपने अभियान चलाए। इसके अतिरिक्त उन्होंने हर्ष को भी आगे बढ़ने से रोका , पल्लवों को भी पराजित किया। 
  • पल्लवों और चालुक्यों को अंततः राष्टकूट तथा चोल वंशों ने समाप्त कर दिया। 

प्रशासन -



  • इन राजाओ के लिए भूमिकर सबसे महत्वपूर्ण होते थे 
  • प्रशासन की प्राथमिक इकाई गांव होते थे। 
  • कुछ महत्वपूर्ण प्रशासकीय पद अनुवांशिक बन गए जो हरिषेण अपने पिता की तरह महादण्डनायक अर्थात मुख्य न्याय अधिकारी बन गए। 
  • इसके साथ-साथ ये कुमारमात्य ( महत्वपूर्ण मंत्री ) तथा संधि-विग्रहिक ( युद्ध और शांति विषयों का मंत्री )भी था। 
  • स्थानीय प्रशासन में प्रमुख व्यक्तियों का काफी बोल बाला था। 
  • नगर श्रेष्टी -मुख्य बैंकर या शहर का व्यापारी। 
  • सार्थवाह -व्यापारियों के काफिले का नेता। 
  • प्रथम-कुलिक -मुख्य शिल्पकार। 
  • कायस्थ -लिपिकों के प्रधान। 

सेना -

  • सुसंगठित सेना रखते थे जिसमे हाथी , घुड़सवार रथ और पैदल सिपाही होते थे इसके साथ-साथ कुछ सेनानायक होते थे 
  • सेनानायक - ये राजा को सैन्य सहायता देते थे। इन्हे नियमित वेतन न देकर भूमि दी जाती थी जिससे ये कर वसूलते थे। ये सामंत भी कहलाते थे। जहाँ राजा निर्बल होते थे ये स्वतन्त्र होने की कोशिश करते थे। 

दक्षिण के राज्यों में सभाएँ -

  • पल्लवों के अभिलेखों में कई स्थानीय सभाओं की चर्चा है। 
  • इनमे में से एक था ब्राम्हण भूस्वामियों का संगठन जिसे सभा कहते थे। 
  • ये सभाएं उप-समितियों के जरिए सिंचाई खेती बाड़ी से जुड़े विभिन्न काम, सड़क निर्माण स्थानीय मंदिरों की देखरेख आदि का काम कराती थी। 
  • जिन इलाकों के भूस्वामी ब्राम्हण नहीं थे वहां उर नामक ग्राम सभा के होने की बात कही गई। 
  • नगरम -व्यापारियों के एक समूह का नाम था। 

आम लोग -

  • जनसंधारण के जीवन की थोड़ी बहुत झलक हमें नाटकों तथा कुछ अन्य स्त्रोतों से मिलती है। 
  • कालिदास ने अपने नाटकों में राज-दरबार का चित्रण किया है। जिसमे राजा और ब्राह्मण को संस्कृत में तथा अन्य व महिलाएं प्राकृत बोलते हुए दिखाया गया है। 
  • कालिदास के सबसे प्रसिद्ध नाटक अभिज्ञान सकुंतलम में दुष्यंत नामक एक राजा और शकुंतला नाम की एक युवती की प्रेम कहानी है। 
  • फा-शियान ने अछूतों की दुर्गति पर लिखा है ये लोग प्रायः शहरों के बहार रहते थे तथा जब बाजार या शहर में आते थे तो सभी को आगाह करने के लिए लकड़ी के दुकड़ो पर चोट करते रहते थे। 

अन्यत्र ( अरब )

  • अरब एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था जिसने भारत और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार बढ़ाने में भूमिका निभाई। 
  • अरब में रहने वाले बेदुइन ( घुमक्कड़ कबीले ) के लोग ऊँटो पर आश्रित थे। 
  • लगभग 1400 साल पहले पैगम्बर मुहम्मद ने अरब में इस्लाम धर्म की शुरुआत की। 
  • इस्लाम में अल्लाह को सर्वोपरि तथा कुरान को पवित्र माना गया है। 
  • अगले सौ सालो के दौरान इस्लाम उत्तरी अफ्रीका , स्पेन , ईरान और भारत में फैल गया। 
  • अरब के सिपाहियों ने करीब 1300 साल पहले सिंध ( आज का पाकिस्तान ) को जीत लिया। 

कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ -

  • गुप्त वंश की शुरुआत ( 1700 साल पहले )
  • हर्षवर्धन का शासन ( 1400 साल पहले )
विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे- 

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