Ncert Class-7 History Chapter-6 (नगर, व्यापारी और शिल्पीजन ) pdf notes in hindi



hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-7  ( Chapter-6 ) शासक और इमारते   Notes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी। 


Chapter-6

नगर, व्यापारी और शिल्पीजन-

चोल वंश - 

  • 1000 साल पहले चोल राजाओ की राजधानी तंजावूर थी। 
  • बारहों महीने कावेरी नदी तंजावूर के पास से बहती थी। 
  • तंजावूर नगर का वास्तुकार, कुंजर मल्लन राजराज पेरू थच्चन ( मंदिर के दीवार पर उत्कीर्ण ) था। 
  • तंजावूर के निकटवर्ती नगर उरैयूर में सालीय बुनकर के कपड़े व स्वामी मलाई में कांस्य मूर्तियाँ बनाई जाती थी। 
  • तंजावूर एक मंदिर नगर का भी उदहारण है। 
  • चोल कालीन कांस्य मूर्तियां 'लुप्टमोम ' तकनीक से बनाई जाती थी। 
  • नोट- कांसा एक मिश्र धातु होती है जो ताँबा और रांगा ( टिन ) से बनता है। 
  • नोट- मंदिर नगरों से उदहारण -
  • a) मध्य प्रदेश में भिल्ल स्वामी ( भीलसा या विदिशा )
  • b) गुजरात में सोमनाथ। 
  • c) तमिलनाडु में कांचीपुरम और मदुरै। 
  • d) आंध्र प्रदेश में तिरुपति। 
  • नोट-  नगरों में रूप में कुछ विकसित स्थल वृन्दावन, तिरुवन्नमलाई ( तमिलनाडु ) 

अजमेर ( राजस्थान) -

  • यह बारहवीं शताब्दी में चौहान राजाओं की राजधानी। 
  • मुगलों के शासन में यह ' सूबा ' मुख्यालय बन गया। 
  • बारहवीं शताब्दी में सुप्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मुयनुद्दीन चिस्ती यहाँ बस गए थे। 
  • अजमेर के पास ही पुष्कर सरोवर है। 
  • नोट-  मडायिका ( आज के सन्दर्भ में मंडी के लिए प्रयुक्त होता है। 
  • a) जहाँ दुकाने या बाजार थे उन्हें हट्ट बाद में उन्हें हाट कहा जाने लगा। 



बड़े और  व्यापारी -

  • व्यापारी काफिले बनाकर  यात्रा करते थे और अपने हितो के लिए व्यापर संघ यानि गिल्ड बनाते थे। 
  • दक्षिण भारत में आठवीं शताब्दी में सबसे प्रसिद्ध मणिग्रामम और नानादेशी संघ थे। 
  • ये व्यापार संघ प्रायद्वीप के भीतर और दक्षिण-पूर्व एशिया तथा चीन के साथ भी व्यापार करते थे। 
  • चेट्टियार और माडवाडी ओसवाल जैसे समुदाय आगे चलकर देश के प्रमुख/प्रधान व्यापारी समूह बन गए। 
  • गुजरातियों में हिन्दू बनियाँ और मूसलिम बोहरा लाल सागर, फारस की खाड़ी , पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण तथा पूर्व एशिया तथा चीन में कपड़े मसाले का व्यापर करते थे।  बदले में अफ्रका से सोना और हाथी दाँत एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया और चीन से मसाले, टिन , मिटटी के नील बर्तन और चाँदी लाते थे।  
  • नोट- लाल सागर के बंदरगाह पर मसाले व कपड़े इतावली व्यापारियों द्वारा ख़रीदे जाते थे और वहाँ से वे उन्हें आगे यूरोपीय बाजारों में पहुंचते थे। 
  • नोट-2  काली मिर्च , दाल चीनी, जायफल, सोंठ यूरोपीय व्यंजनों के महत्वपूर्ण अंग बन गए। 

नगरों में शिल्प -

  • बीदर ( कर्नाटक ) ताँबे तथा चाँदी के जड़ाई  प्रसिद्ध  था।  इसलिए इस शिल्प का नाम बिदरी पड़ गया। 
  • पांचाल अर्थात विश्वकर्मा समुदाय जिसमे सुनार, कसेरे, लुहार, राजमिस्त्री और बढ़ई शामिल थे। 
  • सलीपार या कैक्कोलार जैसे बुनकर समुदाय मंदिरो को भारी दान दक्षिणा करते थे। 
  • नोट- पश्चिम बंगाल में भागीरथी नदी तट पर स्थित मुर्शिदाबाद वस्त्रों के प्रमुख केन्द्रो के रूप में उभरा 
  • a) 1704 ईसवी में बंगाल की राजधानी बन गया। 

हमपीनगर -



  • कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों की घाटी में स्थित है। 
  • हम्पी के किले का निर्माण गारे चूने से न करके शिलाखंडों को आपस में फसाकर किया गया था। 
  • यह नगर 1336 में स्थापित विजयनगर साम्राज्य का केंद्र स्थल था। 
  • हम्पी में भवनों में भव्य मेहराब और गुम्बद, स्तम्भों वाले कई विशाल कक्ष जिनमे मूर्तियों के रखने वाले आले , बाग़-बगीचे थे। 
  • हम्पी के बाजारों में मूरो ( मुस्लिम सौदागरों ), चेट्टियो, और पुर्तगालियो जैसे यूरोपियो के एजेंटो का जमाहट लगा रहता था। 
  • हम्पी में विरुपाक्ष ( शिव मंदिर ) एवं विठ्ठल जैसे मंदिर स्थित है। 
  • a) विरुपाक्ष मंदिर में देवदासियों राजा एवं प्रजाजनों के समक्ष नृत्य कराती थी। 
  • 1565 में दक्कनी सुल्तानों-गोलकुंडा, बीजापुर, अहमदनगर , बरार और बीदर के शासको के हाथों विजयनगर की पराजय के बाद हम्पी का विनाश हो गया। 

सूरत -( पश्चिम का प्रवेश द्वार )-

  • सूरत मुगलकाल में कैम्बे आज के खम्भात और अहमदाबाद पश्चिमी व्यापार का केंद्र बन गया। 
  • सूरत ओरमुज की खाड़ी से होकर पश्चिमी एशिया के साथ व्यापार करने के लिए मुख्य द्वार था। 
  • सूरत को मक्का  प्रस्थान द्वार भी जाता था। 
  • सूरत एक सर्व देशीय नगर था , जहां सभी जातियों और धर्मों के लोग रहते थे। 
  • सत्रहवीं शताब्दी में वहाँ पुर्तगालियों, डचों और अंग्रेजों के कारखाने एवं मालगोदाम थे। 
  • सूरत से जारी की गयी हुंडियो को दूर-दूर तक मिस्श्र में काहिरा, इराक में बसरा और बेल्जियम में एंटवर्प के बाजारों में मान्यता प्राप्त थी। 
  • नोट-  हुंडी - एक ऐसा दस्तावेज जिसमे एक व्यक्ति द्वारा जमा कराई रकम दर्ज रहती है। हुंडी को कहीं अन्यत्र प्रस्तुत करके जमा की गई राशि प्राप्त की जा सकती है। 
  • पुर्तगालियों द्वारा समुद्री मार्गो पर नियंत्रण और मुम्बई में 1668 में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय बनने से सत्रहवीं शताब्दी में सूरत का पतन हो गया। 
  • आज सूरत एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र है। 

मसूली पट्टनम ( आंध्र प्रदेश )-

  • मसूलीपट्टनम या मछलीपट्टनम कृष्णा नदी के डेल्टा पर स्थित है। 
  • सत्रहवीं शताब्दी में हालैंड और इंग्लैंड दोनों देशो की ईस्ट इंडिया कंपनियों ने मसूलीपट्टनम पर नियंत्रण प्राप्त करने का प्रयत्न किया। 
  • मसूलीपट्टनम  हालैण्ड वासियों ने बनाया था। 

नए नगर और व्यापारी -

  • अठारहवीं शताब्दी में बम्बई , कलकत्ता और मद्रास नगरों का उदय हुआ जो आज प्रमुख महानगर है। 
  • ब्लैक यानी देशी व्यापारियों और शिल्पकारों को इन ' ब्लैक टाउन्स में सीमित कर दिया गया। 
  • गोर शासको ने मद्रास में फोर्ट सेंत जॉर्ज और कलकत्ता में फोर्ट सेंत विलियम की शानदार कोठियों में अपने आवास बनाए। 

अन्यत्र -( वास्को-डी-गामा )-

  • पुर्तगाली नाविक वास्को-डी-गामा अटलांटिक महासागर के साथ-साथ यात्रा करते हुए केप ऑफ़ गुड़ होप से निकल कर और हिंदमहासागर को पार करके 1498 में कालीकट ( भारत ) पहुँचा। 
  • a) वह अगले वर्ष पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन लौट गया। 
  • b) उसकी खोज ने अंग्रेज, हालैण्ड वासी और फ़्रांसिसी नाविकों ने भी उसका अनुसरण करना प्रारम्भ कर दिया। 

क्रिस्टोफर कोलम्बस -

  • ईटलीवासी क्रिस्टोफर कोलम्बस ने भारत पहुंचने का मार्ग खोजने के लिए अटलांटिक महासागर को पार करके पश्चिम की ओर यात्रा करने का निश्चय किया। उसका मानना था कि पृथ्वी गोल है, इसलिए वह पश्चिम की ओर से भी भारत पहुँच सकता है। वह 1492 में वेस्टइंडीज के तट पर पहुंचा ( बेस्टंडीज का नाम इसी भ्रान्ति के कारण पड़ा)।
विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे- 

राजनीति शाश्त्र-

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Chapter-9

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Chapter-2

Chapter-3

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Chapter-5

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