Ncert Class-8 History Chapter-5(जब जनता बगावत कराती है 1857 और उसके बाद ) pdf notes in hindi




hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-8  ( Chapter-5)जब जनता बगावत कराती है 1857 और उसके बाद Notes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी। 

Chapter-5

जब जनता बगावत कराती है 1857 और उसके बाद -

1857 और उसके बाद-

  ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों से राजा, रानियों किसानों जमींदारों, सिपाहियों आदि पर तरह-तरह के असर पड़े। 

नवाबों की छिनती सत्ता -

1. अठारहवीं सदी के मध्य से ही सहायक संधि तथा हड़पनीति के द्वारा राजाओं और नवाबों की सत्ता पर जबरन अधिकार किया जाने लगा उनमे असंतोष का माहौल था। 
2. झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के दत्तक पुत्र को राजा मानने से इंकार कर दिया गया तथा पेशवा बाजीराव द्वितीय का पेंशन भी उनके पुत्र नाना साहेब को नहीं दिया गया। 
3. अवध की रियासत अंग्रेजों के कब्जे में जाने वाली आखिरी रियासतों में से एक थी। उस पर 1801 में सहायक संधि और 1856 में अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया। 
4. 1849 में गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी ने ऐलान किया कि बहादुर शाह जफ़र की मृत्यु के बाद बादशाह के परिवार को लाल किले से निकाल कर उसे दिल्ली में कहीं और बसाया जायेगा। 
5. 1856 में गवर्नर जनरल कैनिंग ने फैसला किया कि बहादुर शाह जफ़र आखिरी मुग़ल बादशाह होंगे। उनकी मृत्यु के बाद उनके किसी भी वंशज को बादशाह नहीं माना जायेगा। उन्हें केवल राजकुमारों के रूप में मान्यता दी जाएगी। 

किसान और सिपाही -

1. गाँवों में किसान और सैनिक ( जो मूल रूप से किसान ही थे ) भरी भरकम लगान एवं नियमों से परेशान थे। 
2. सैनिक अपने वेतन, भत्तों और सेवा शर्तों के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने ( जबरन समुद्र पार भेजे जाने ) से रोश में थे। 
3. 1824 में सिपाहियों ने समुद्र के रास्ते बर्मा जाने के आदेश को मानने से इंकार कर दिया। 
4.  1856 में कंपनी ने कानून बनाया।  इसमें कहा गया कि कोई भी व्यक्ति कंपनी की सेना में नौकरी करेगा तो जरुरत पड़ने पर उसे समुद्र पार भी जाना पड़ सकता है। 

सुधारों पर प्रति क्रिया -

1. सती प्रथा को रोकने और विधवा विवाह को बढ़ावा देने के लिए कानून बनाए गए। 
2. अंग्रेजी भाषा की शिक्षा को जमकर प्रोत्साहन दिया गया। 
3. 1830 के बाद ईसाई मिशनरियों को खुलकर काम करने और यहाँ तक कि जमीन व संपत्ति जुटाने की भी छूट दे दी। 
4. 1850 में कानून बनाया गया जिससे ईसाई धर्म को अपनाना आसान हो गया। 

सैनिक विद्रोह-

1. मई 1857 में मेरठ से शुरू हुई सिपाहियों की बगावत ने कंपनी का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया था। 2. कुछ लोग इसे उनीसवीं सदी में उपनिवेशवाद के खिलाफ दुनिया भर में यह सबसे बड़ा सशस्त्र संघर्ष मानते है। 

मेरठ से दिल्ली तक-

1. 29 मार्च 1857 को युवा सिपाही - मगल पाण्डेय को बैरकपुर में अपने अफसरों पर हमला करने के आरोप में फांसी पर लटका दिया गया। 
2. 9 मई 1857 को मेरठ में सिपाहियों ने नए कारतूसों ( जिस पर गाय और सूअर की चर्वी का लेप चढ़ाया गया था ) से अभ्यास करने से मना कर दिया जिसके फलस्वरूप 85 सिपाहियों को नौकरी से निकाल दिया गया तथा उन्हें 10-10 साल की सजा दी गई। 
3. 10 मई को सिपाहियों ने मेरठ की जेल पर धावा बोलकर वहाँ बंद सिपाहियों को आजाद करा लिया। 
4. 10 मई 1857 की रात को मेरठ के सिपाहियों की टोली दिल्ली पहुंच गयी और उनके आने की खबर सुनकर दिल्ली में तैनात सिपाहियों ने बगावत कर कई अंग्रेजों को मार गिराया और सभी ने मिलकर बहादुर शाह जफ़र को अपना नेता घोषित कर दिया। 
5. बहादुर शाह ने विद्रोह को समर्थन किया और देश भर के मुखियाओं और शासको को चिट्ठी लिखकर अंग्रेजों से लड़ने के लिए भारतीय राज्यों का एक संघ बनाने का आह्वान किया। 

बगावत फ़ैलाने लगा-

1. एक के बाद एक हर रेजिमेंट में सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया और वे दिल्ली, कानपूर व लखनऊ जैसे मुख्य बिंदुओं पर दूसरी टुकड़ियों का साथ देने को निकल पड़े। उनकी देखा-देखी कस्बो और गाँवों के लोग भी बगावत के रास्ते पर चलने लगे।  वे स्थानीय नेताओं , जमीनदारों और मुखियाओं के पीछे संगठित हो गए। 
  • कानपुर-स्वर्गीय पेशवा बाजीराव के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने अंग्रेजों को खदेड़ दिया और खुदकों पेशवा घोषित कर दिया उन्होंने ऐलान किया कि वह बादशाह बहादुर शाह जफ़र के तहत गवर्नर है। 
  • लखनऊ- नवाब वाजिद अली शाह के बेटे बिरजिस कद्र को नया नवाब घोषित कर दिया गया। उसकी माँ बेगम हजरत महल ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाला। 
  • झाँसी- रानी लक्ष्मी बाई ने नाना साहेब के सेनापति तांत्या टोपे के साथ मिलकर अंग्रेजों को भरी चुनौती दी। 
  • मांडला( मध्य प्रदेश )- राजगढ़ की रानी अवन्ति बाई लोधी ने 4000 सैनिकों की फ़ौज तैयार की और अंग्रेजों के खिलाफ उसका नेतृत्व किया। 
  • फ़ैजाबाद- मौलबी अहमदुल्ला शाह ने अपने समर्थकों की एक विशाल संख्या जुटाकर अंग्रेजों इ लड़ने लखनऊ जा पहुँचें। 
  • बरेली- बरेली के सिपाही बख्त खान ने लड़कों की एक विशाल टुकड़ी के साथ दिल्ली की ओर कूच कर दिया। 
  • बिहार-जमींदार कुँवर सिंह ने विद्रोही सिपाहियों का साथ दिया और महीनों तक अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी। 
  • नोट-6 अगस्त 1857 को लेफ्टिनेंट कर्नल टाइटलर ने अपने कमांडर-इन-चीफ को टेलीग्राम भेजा जिसमे उसने लिखा-"हमारे लोग विरोधियों की संख्या और लगातार लड़ाई से थक गए है। एक-एक गाँव हमारे खिलाफ है। जमींदार भी हमारे खिलाफ खड़े हो रहे है। "

कंपनी का पलटवार -

1. कंपनी ने अपनी पूरी ताकत लगाकर विद्रोह को कुचलने के लिए इंग्लैण्ड से और फौजी मंगवाए, विद्रोहियों को जल्दी सजा देने के लिए नए कानून बनाए और विद्रोह के मुख्य केंद्रों पर धावा बोल दिया। 
2. सितम्बर 1857 में दिल्ली दोबारा अंग्रेजों के कब्जे में आगई। 
3. बहादुर शाह जफ़र पे मुक़दमा चलाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई। उनके बेटों को उनकी आँखों के सामने गोली मार दी गई। 
  • अक्टूबर 1858 को बहादुर शाह और उनकी पत्नी बेगम जीनत महल को रंगून जेल में भेज दिया गया। 
  • इसी जेल में नवम्बर 1862 में बहादुर शाह की मृत्यु हो गई। 
4. मार्च 1858 में लखनऊ अंग्रेजों के कब्जे में आ गई। 
5. जून 1858 रानी लक्ष्मी बाई की शिकस्त हुई और उन्हें मार दिया गया। 
6. तात्या टोपे मध्य भारत के जंगलो में रहते हुए आदिवासियों और किसानों की सहायता से छापामार युद्ध चलाते रहे। 

विद्रोह के बाद के साल -

अंग्रेजों ने 1859 के आखिर तक देश पर दोबारा नियंत्रण पा लिया। 
1. ब्रिटिश संसद ने 1858 में एक नया कानून पारित किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे अधिकार ब्रिटिश साम्राज्य के हाथ में सौंप दिया। 
  • ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य को भारत मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उसे सलाह देने के लिए एक परिषद् ( इंडिया काउन्सिल ) का गठन किया गया। 
  • भारत के गवर्नर जरनल को वायसराय का ओहदा दिया गया। और उसे इंग्लैण्ड के राजा/रानी का निजी प्रतिनिधि घोषित कर दिया गया। 
  • फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने भारत के शासन की जिम्मेदारी सीधे अपने हाथों में ले ली थी। 
2. देश के सभी शासकों को भरोसा दिया गया कि भविष्य में कभी भी उनके भू क्षेत्र पर कब्ज़ा नहीं किया जायेगा। तथा भारतीय शासकों को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन शासन चलाने की छूट दी गई। 

3. सेना में भारतीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया। 
4. सेना में सिपाहियों का अनुपात कम करने और यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया। 
  • अब अवध , बिहार, मध्य भारत और दक्षिण भारत से सिपाहियों को भर्ती करने के बजाए अब गोरखा,सिखों और पठानों में से ज्यादा सिपाही भर्ती किए जाएंगे। 
5.  मुसलमानों की जमीन और संपत्ति बड़े पैमाने पर जब्त की गई। उन्हें संदेह व शत्रुता के भाव से देखा जाने लगा। अंग्रेजो को लगता था कि यह विद्रोह उन्होंने ही खड़ा किया था। 
6. अंग्रेजों ने फैसला किया कि वे भारत के लोगो के धर्म और सामाजिक रीती-रिवाजों का सम्मान करेंगे। 
7. भू-स्वामियों और जमींदारों की रक्षा करने तथा जमीन पर उनके अधिकारों को स्थायियत्व देने के लिए नीतियाँ बनाई गई।  

खुदी संग्राम /पाइक विद्रोह -

1. खुदी  ओडिशा के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित एक छोटा राज्य था। 
2. उनीसवीं शताब्दी की शुरुआत में 105 गढ़ो , जिनमे 60 बड़े और 1109 छोटे गाँव सम्मिलित थे। 
3. यहाँ के राजा बिरकिशोर देव को स्व अधिकृत चार परगनाओं को तथा जगन्नाथ मंदिर का संचालन व 14 गढ़ जातो के प्रशासनिक उत्तरदायित्व को पूर्व में दबाव में आकर मराठाओं को सौंप देना पड़ा था। 
  • बीर किशोर देव के पुत्र मुकुंद देव ( द्वितीय ) इस दुर्दशा से विचलित थे। 
4. 1803 में ओडिशा को अंग्रजों ने अपने कब्जे में ले लिया, साथ ही बीर किशोर देव के राज्य को अपने में मिला लिया। 
  • अंग्रेजों ने सांत्वना के रूप में एक नियमित अनुदान के साथ , जो कि उनकी पूर्व भू संपत्ति के राजस्व का एक मात्र दशमांश था ,अंग्रजों ने उन्हें जगन्नाथ मंदिर की देख-रेख का दायित्व दिया तथा उनका निवास पूरी में निश्चित कर दिया। 
5. खुर्दा को अपने अधीन करने के बाद अंग्रेजो ने राजस्व निवृत जमीन पर कर लगाने की निति अपनाई। 
  • इससे राज्य के पूर्व सैनिक वर्ग , जिन्हे 'पाइक ' के नाम से जाना जाता था ,उनका जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ। 
  • फलस्वरूप 1805 से 1817 के बीच खुर्दा से बड़े पैमाने पर लोग जमीन छोड़कर चले गए। 
6. खुर्दा के विस्थापित राजा का वंशानुगत सेनानायक , जगबंधु विद्याधर महापात्र भ्रमरवर राय , जिन्हे लोग बक्सी जगबंधु के नाम से जानते थे। वह ऐसे बेदखल हुए जमींदारों में से एक थे। 
7. व्याहारिक रूप से बक्सी जगबंधु भिखारी बन गए और दो साल तक उन्होंने खुर्दा के लोगो के स्वैच्छिक दान से अपना गुजारा किया। 

8. खुर्दा के लोगो की तकलीफें -

  • अंग्रेजों द्वारा इस क्षेत्र में चाँदी के सिक्कों का प्रचलन। 
  • इस नई मुद्रा में राजस्व के भुगतान पर जोर देना। 
  • खाद्य-सामग्री की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि तथा नमक की आपूर्ति में कमी। 
  • स्थानीय जमींदारों की कलकत्ता में नीलामी जिसके कारण ओडिशा में बंगाल के जमींदारों का आगमन हुआ। 
9. 29 मार्च 1817 को इस संग्राम की शुरुआत हो गई , पाइकों ने बानपुर में स्थित पुलिस चौकी और अन्य सरकरी संस्थानों पर हमला कर दिया और सौ से अधिक लोगों की हत्या करने के साथ-साथ सरकारी खजाने में से एक बड़ी रकम लेकर चले गए। 
10. उत्साह से भरपूर जमींदार और रैय्यत, पाइको से मिल गए। और उन्होंने एक अभियान 'कर मत दो ' शुरू किया। 
11. 14 अप्रैल 1817 को बक्सी जगबंधु ने 5 से 10 हजार पाइको और कंध जनजातियों के योद्धाओं की अगवाही कर पुरी को कब्जे में ले लिया और मुकुंद देव ( द्वितीय ) को राजा घोषित कर दिया। 
12. स्थित को हाथ से निकालता देख अंग्रेजों ने "मार्शल ला " लागू कर दिया। जल्द ही घोषित राजा पकड़े गए और उन्हें उनके पुत्र के साथ कटक में कारावास दे दिया गया। 
13. अंग्रेजों ने मई 1817 तक खुर्दा के संग्राम को लगभग काबू में कर लिया। 
14. परन्तु खुर्दा के बाहरी क्षेत्रों में बक्सी जगबंधु ने कुजंग के राजा जैसे सहयोगी की मदद से और पाइको के के उनके प्रति अटूट निष्ठां के कारण इस संघर्ष को मई 1825 तक जारी रखा। (अंग्रेजों के आत्मसमर्पण )

अन्यत्र-ताइपिंग विद्रोह-

1. चीन के दक्षिणी भाग में 1857 के समकालीन एक विद्रोह हुआ था 
2. यह विद्रोह 1850 में शुरू हुआ और 1860 के मध्य में जाकर ख़त्म हुआ। 
3. ताइपिंग विद्रोह-हॉन्ग जिकुआन्ग के नेतृत्व में। 

उद्देश्य -

  • एक ऐसा साम्राज्य स्थापित करना जहाँ ईसाई धर्म को माना जाए। 
  • जहाँ किसी के पास निजी संपत्ति नाहों। 
  • सामाजिक वर्गों और स्त्री -पुरुष के बीच कोई भेद-भाव न हो। 
  • अफीम , तम्बाकू, शराब के सेवन तथा जुए,वेश्यावृत्ति और गुलामी पर पाबन्दी हो। 
विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे- 

राजनीति शाश्त्र-

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Chapter-6

Chapter-7

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