Ncert Class-8 History Chapter-9(महिलाएँ , जाति एवं सुधार ) pdf notes in hindi
Chapter-9
महिलाएँ , जाति एवं सुधार-
राजा राम मोहन रॉय ( 1772-1833 )-
1. इन्होने कलकत्ता में ब्राम्हों सभा ( जिसे बाद में ब्राम्हों समाज के नाम से जाना गया ) के नाम से एक सुधारवादी संगठन बनाया था।
2. राजाराममोहन रॉय देश में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार करने और महिलाओं की स्वतंत्रता और समानता के पक्षधर थे।
3. राममोहन रॉय संस्कृत, फारसी तथा अन्य कई भारतीय एवं यूरोपीय भाषाओँ के अच्छे ज्ञाता थे।
4. उन्होंने विधवा औरतों को सती प्रथा से बचाने की मुहिम छेड़ी।
- सती का शाब्दिक अर्थ सदाचारी महिला।
5. राममोहन रॉय के फलस्वरूप 1829 में सती प्रथा पर पाबन्दी लगा दी गई।
6. ब्राम्हों समाज - यह सभी प्रकार की मूर्ति पूजा और बलि के विरुद्ध थी। इसके अनुयायी उपनिषदों में विश्वास रखते थे। केशव चंद्र सेन ब्रम्ह समाज के प्रमुख नेताओं में से एक थे।
ईश्वर चंद्र विद्यासागर -
1. इन्होने विधवा विवाह का समर्थन किया।
2. इन्ही के प्रयासों से 1856 में अंग्रेजों ने विधवा विवाह के पक्ष में एक कानून पारित कर दिया।
नोट-1 मद्रास प्रेसीडेंसी के तेलगू भाषी इलाकों में वीरेशलिंगम पंतुलु ने विधवा विवाह के समर्थन में एक संगठन बनाया था।
नोट-2 बम्बई में युवा बुद्धजीवियों ने और उत्तर भारत में आर्य समाज की स्थापना करने वाले स्वामी दयानन्द सरस्वती ने भी विधवा विवाह का समर्थन किया।
महिला शिक्षा-
1. कलकत्ता में विद्यासागर और बम्बई में अन्य सुधारकों ने लड़कियों के लिए स्कूल खोले।
2. मुमताज अली जैसे कुछ सुधारकों ने कुरान शरीफ की आयतों का हवाला देकर महिला शिक्षा पर जोर दिया।
3. भोपाल की वेगमों ने अलीगढ में लड़कियों के लिए प्राथमिक स्कूल खोला।
4. वेगम रुकैया सखावत हुसैन ने कलकत्ता और पटना में मुस्लिम लड़कियों के स्कूल खोले।
5. 1880 के दशक तक आते-आते भारतीय महिलाएँ विश्विद्यालययों में प्रवेश लेने लगी थी। उनमे से कुछ चिकित्सक और कुछ शिक्षिका बन गई।
6. पूना में घर पर ही रहकर शिक्षा प्राप्त करने वाली ताराबाई शिंदे ने स्त्रीपुरुषतुलाना नामक पुस्तक लिखी। जिसमे पुरुषों और महिलाओं के बीच मौजूदा सामाजिक फर्कों की आलोचना की गई थी।
7. संस्कृत की महान विद्वान् पंडिता रमाबाई का मानना था कि हिन्दू धर्म महिलाओं का दमन करता है।
- उन्होंने ऊँची जातियों की हिन्दू महिलाओं की दुर्दशा पर एक किताब भी लिखी थी।
- उन्होंने पूना में एक विधवागृह की स्थापना की जहाँ ससुराल वालों के हाथों अत्याचार झेल रही महिलाओं को पनाह दी जाती थी।
8. बीसवीं शताब्दी में जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं ने महिलाओं के लिए और अधिक स्वतंत्रता व समानता की माँगों का समर्थन किया।
बाल विवाह के विरुद्ध कानून -
1. 1929 में बाल विवाह निषेध अधिनियम पारित किया गया।
2. इस कानून के अनुसार 18 साल से कम उम्र के लडके और 16 साल से कम उम्र की लड़की की शादी नहीं की जा सकती। बाद में यह उम्र बढाकर क्रमशः 21 साल व 18 साल कर दी गई।
जाति और समाज सुधार-
1. राममोहन रॉय ने जाति व्यवस्था की आलोचना करने वाले पुराने बौद्ध ग्रन्थ का अनुवाद किया।
2. प्रार्थना समाज ( संस्थापक-आत्माराम पांडुरंग तथा महादेव गोविन्द रनाडे ने बम्बई में 31 मार्च 1867 में ) भक्ति परम्परा का समर्थक था। जिसमे सभी जातियों की आध्यात्मिक समानता पर जोर दिया गया था।
3. 1840 में बम्बई में जाति उन्मूलन के लिए काम करने के लिए परमहंश मंडली का गठन किया गया।
4. उन्नीसवीं सदी में ईसाई प्रचारक आदिवासी समुदायों और "निचली " जातियों के बच्चों के लिए स्कूल खोलने लगे थे।
नोट- वर्त्तमान आंध्र प्रदेश में मदिगा एक महत्वपूर्ण "अछूत "जाति रही है। ये पशुओं के शवों को साफ करने, चमड़ा तैयार करने और चप्पल-जूतियों सीने में माहिर थे।
5. मध्य भारत में सतनामी आंदोलन की शुरुआत घासीदास ने की ,जिन्होंने चमड़े का काम करने वालों को संगठित किया और उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए आंदोलन छेड़ दिया।
6. पूर्वी बंगाल में हरिदास ठाकुर ने मतुआ पंथ ने चांडाल काश्तकारों के बीच काम किया। हरिदास ने जाति व्यवस्था को सही ठहराने वाले ब्राम्हणवादी ग्रंथो पर सवाल उठाया।
7. केरल के ऐझावा जाति के श्री नारायण गुरु ने जातिगत भेदभाव का विरोध किया।
- उनका महत्वपूर्ण कथन था-'ओरु जाति ,ओरु मतं ,ओरु दैवम मनुष्यानु '( मानवता की एक जाति ,एक धर्म, एक ईश्वर )
ज्योतिराव फुले-( जन्म -1827 में )
1. ईसाई प्रचारकों द्वारा खोले गए स्कूलों में शिक्षा पायी थी।
2. फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की तथा जातीय समानता के समर्थन में मुहिम चलाई।
3. 1873 में फुले ने गुलामगिरी ( गुलामी ) नामक एक किताब लिखी।
- फुले ने अपनी पुस्तक उन सभी अमरीकियों को समर्पित की जिन्होंने गुलामों को मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष किया।
4. फुले का तर्क था कि आर्य विदशी थे , जो उपमहाद्वीप के बाहर से आए थे और उन्होंने इस मिटटी के असली वारिसों -( आर्यों के आने से पहले यहाँ रह रहे मूल निवासियों ) को हराकर उन्हें गुलाम बना लिया था
डॉ भीमराव अम्बेडकर-
1. ये महार परिवार में पैदा हुए थे।
2. इन्होने जातीय भेदभाव और पूर्वाग्रह को बचपन से देखा था।
3. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें उच्च अध्ययन हेतु अमरीका जाने के लिए फैलोशिप मिल गई थी।
4. 1919 में भारत लौटने पर उन्होंने समकालीन समाज में "उच्च " जातीय सत्ता संरचना पर काफी लिखा।
5. सन 1927 में अम्बेडकर ने मंदिर प्रवेश आंदोलन शुरू किया जिसमे महार जाति के लोगो ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
6. 1927 से 1935 के बीच अम्बेडकर ने मंदिरों में प्रवेश के लिए तीन आंदोलन चलाए। वह पूरे देश को दिखाना चाहते थे कि समाज में जातीय पूर्वाग्रहों की जकड कितनी मजबूत है।
पेरियार ( ई. वी. रामास्वामी नायकर )-
1. पेरियार नाम से प्रसिद्ध ई. वी. रामास्वामी नायकर एक मध्यवर्गीय परिवार में पले-बढे थे।
2. आरम्भिक जीवन में वे सन्यासी थे और उन्होंने संस्कृत शास्त्रों का गम्भीरता से अध्ययन किया था।
3. बाद में वे कांग्रेस के सदस्य बने परन्तु पार्टी में जातिगत भेदभाव होने की वजह से पार्टी छोड़ दी।
4. उन्होंने "अछूतो " के लिए स्वाभिमान आंदोलन शुरू किया था।
5. उनका कहना था कि मूल तमिल और द्रविड़ संस्कृति के असली वाहक अछूत ही हैं जिन्हे ब्राम्हणों ने अपने अधीन कर लिया है।
6. पेरियार हिन्दू वेद पुराणों के कट्टर आलोचक थे। खासतौर पर मनु द्वारा रचित संहिता, भगवतगीता और रामायण के वे कटु आलोचक थे।
डेरोजियो एवं यंग बंगाल-
1. 1820 के दशक में हेनरी लुई विवियन डेरोजियो हिन्दू कॉलेज, कलकत्ता में अध्यापक थे।
2. उनके द्वारा शुरू की गई यंग बंगाल मूवमेंट में उनके विद्यार्थियों ने परम्पराओं और रीती-रिवाजों पर उँगली उठाई , महिलाओं के लिए शिक्षा की मांग की और सोच व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अभियान चलाया।
रामकृष्ण मिशन और स्वामी विवेकानंद-
1. स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर इस मिशन की स्थापना की।
2. स्वामी विवेकानन्द ( 1863-1902 ) का मूल नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
3. 1893 में उन्होंने शिकागो में विश्व धर्म संसद में हिस्सा लिया।
4. स्वामी विवेकानन्द आधुनिक समय के पहले भारतीय थे जिन्होंने विश्वव्यापी स्तर पर वेदांत दर्शन के आध्यात्मिक गौरव को पुनर्स्थापित किया। लेकिन उनका उद्देश्य केवल धर्म की व्याख्या करना नहीं था।
प्रार्थना समाज-
1. 1867 में स्थापित प्रार्थना समाज ने जाति बंधनों को ख़त्म करने और बाल विवाह के उन्मूलन के लिए प्रयास किया।
2. महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित किया और विधवा पर लगी पाबन्दी के खिलाफ आवाज उठाई।
वेद समाज-( मद्रास -वर्त्तमान चेन्नई में 1864 में )
1. वेद समाज ब्राम्हो समाज से प्रेरित था।
2. इसने जातीय भेदभाव को समाप्त करने और विधवा विवाह तथा महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए काम किया। ये एक ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास रखते थे परन्तु उन्होंने रूढ़िवादी हिंदुत्व के अंधविश्वासों और अनुष्ठानों की सख्त निंदा की।
अलीगढ आंदोलन-
1. सैय्यद अहमद खां द्वारा 1875 में अलीगढ में खोले गए मोहम्मदन-एंग्लो-ओरिएण्टल कॉलेज को ही बाद में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से जाना गया।
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