NCERT Class 6 (Chapter-5 पृथ्वी के प्रमुख परिमण्डल ) Geography in Hindi pdf notes

hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-6 Geography ( Chapter- 5) (पृथ्वी के प्रमुख परिमण्डलNotes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी। 

    Chapter-5

    पृथ्वी के प्रमुख परिमण्डल 

    1. पृथ्वी की सतह ऐसी है जिसमें पर्यावरण के तीन महत्वपूर्ण घटक आपस में मिलते है तथा एक दूसरे को प्रभावित करते है। 
    • पृथ्वी का ठोस भाग जिस पर हम रहते है उसे भूमण्डल कहा जाता है। 
    • गैस की परते जो पृथ्वी को चरों ओर से घेरती है उसे वायुमण्डल कहा जाता है। 
    • पृथ्वी के बहुत बड़े भाग पर जल पाया जाता है जिसे जलमण्डल कहा जाता है। 

    भूमण्डल:

    1. यह भूपर्पटी की चट्टानों तथा मिटटी की पतली परतों का बना होता है जिसमे जीवों के लिए पोषक तत्व पाए जाते है। 
    2. भूमण्डल की सतह को दो मुख्य भागों में बाँटा गया है। 
    • बड़े स्थलीय भूभागों को महाद्वीपों में। 
    • बड़े जलाशयों को महासागरीय बेसिन में। 
    3. समुद्री जल का तल सभी जगह समान होता है। स्थल की ऊंचाई को समुद्र तल से मापा जाता है। जिसे शून्य माना जाता है। 
    नोट- विश्व का सबसे ऊँचा शिखर माउन्ट एवरेस्ट समुद्र तल से 8848 मीटर ऊँचा है। 
    नोट- विश्व का सबसे गहरा भाग प्रशांत महासागर का मेरियाना गर्त है,जिसकी गहराई 11022 मीटर है। 
    नोट-  
    • न्यूजीलैंड के एडमण्ड हिलेरी तथा भारत के तेनजिंग नौरगे शेरपा 29 मई 1953 को माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति थे। 
    • जापान की जुंको ताबेई विश्व की पहली महिला थी जिसने 16 मई 1975 को एवरेस्ट पर कदम रखा। 
    • बछेंद्री पाल भारत की पहली महिला जिसने 23 मई 1984 को एवरेस्ट पर अपना कदम रखा। 

    महाद्वीप:

    पृथ्वी पर सात प्रमुख महाद्वीप है -एशिया , यूरोप , अफ्रीका, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका। 

    एशिया:

    यह विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है यह पृथ्वी का 1/3 हिस्से में फैला है और यह महाद्वीप पूर्वी गोलार्ध्द में स्थित है। 
    • एशिया के पश्चिम में यूराल पर्वत है जो इसे यूरोप से अलग करता है। 
    नोट- यूरोप एवं एशिया के संयुक्त भूभाग को यूरेशिया ( यूरोप+एशिया ) कहा जाता है। 

    अफ्रीका:

    यह एशिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। विषुवत वृत्त पर शून्य अंश अक्षांश इस महाद्वीप के लगभग मध्य भाग से होकर गुजरती है। 
    • यही एक ऐसा महाद्वीप है जिससे होकर कर्क, विषुवत तथा मकर तीनों रेखाएँ गुजरती है। 
    • सहारा का रेगिस्तान विश्व का सबसे बड़ा गर्म रेगिस्तान अफ्रीका में स्थित है। 
    • विश्व की सबसे लम्बी नदी नील अफ्रीका से होकर गुजरती है। 

    उत्तर अमेरिका :

    उत्तर अमेरिका विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है यह दक्षिण अमेरिका से एक संकरे स्थल से जुड़ा है जिसे पनामा स्थल संधि कहते है। 
    • यह महाद्वीप पूरी तरह से उत्तरी एवं पश्चिमी गोलार्द्ध में स्थित है। यह तीन महासागरों से घिरा है -उत्तर प्रशांत महासागर, उत्तर अटलांटिक महासागर तथा कैरेबियन सी से घिरा है। 

    दक्षिण अमेरिका महाद्वीप :

    दक्षिण अमेरिका अधिकांश भाग दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। 
    • विश्व की सबसे लम्बी पर्वत श्रंखला एंडीज इसके उत्तर से दक्षिण की ओर फैली है। 
    • दक्षिण अमेरिका में विश्व की सबसे बड़ी नदी अमेजन बहती है। 

    अंतर्कितीका :

    यह एक बहुत बड़ा महाद्वीप है ,जो दक्षिणी गोलार्ध्द में स्थित है। 
    • यहाँ किसी भी प्रकार का स्थाई मानव विकास नहीं है। बहुत से देशों के शोध केंद्र यहाँ स्थित है। भारत के भी शोध संस्थान मैत्री तथा दक्षिण गंगोत्री यहाँ स्थित है। 

    यूरोप :

    यूरोप महाद्वीप एशिया के पश्चिम में स्थित है और आर्कटिक वृत्त इससे होकर गुजरती है। 

    ऑस्ट्रेलिया :

    यह विश्व का सबसे छोटा महाद्वीप है, जो कि पूरी तरह से यह दक्षिणी गोलार्ध्द में स्थित है। और इसे द्वीपीय महाद्वीप कहा जाता है। 

    2. जलमण्डल:

    • पृथ्वी को नीला ग्रह कहा जाता है क्योकि पृथ्वी के 71 % भाग पर जल तथा 29 %भाग स्थल है। 
    • पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल का 97.2% महासागरों में पाया जाता है। लेकिन वह खारा होने की वजह से पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य पानी सिर्फ 0.03% ही है। 
    • 2.8% हिम चादरों तथा भूगर्भ में संचित जल है तथा 0.03% जल ही पीने योग्य है। 

    3. महासागर :

    बड़े से छोटे आकार के आधार पर क्रमशः पाँच महासागर प्रमुख है-प्रशांत महासगार, अटलांटिक महासगार, हिन्द महासगार, दक्षिणी महासगार तथा आर्कटिक महासगार। 
    • पृथ्वी का सबसे गहरा भाग मेरियाना गर्त प्रशांत महासगार में पड़ता है। एशिया, ऑस्ट्रेलिया,उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका इसके चारों ओर स्थित है। 
    • अटलांटिक महासागर के पश्चिम किनारे पर उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका है तथा पूर्वी किनारे पर यूरोप एवं अफ्रीका। यह अनियमित एवं दंतुरित तट रेखा प्राकृतिक पोता श्रय एवं पत्तनों के लिए आदर्श स्थिति है। 
    • हिन्द महासागर ही एक ऐसा महासागर है जिसका नाम भारत के नाम पर रखा गया है। यह लगभग त्रिभुजा कार है। इसके उत्तर में एशिया, पश्चिम में अफ्रीका तथा पूर्व में ऑस्ट्रेलिया स्थित है। 
    • दक्षिणी महासागर अण्टार्कटिका महाद्वीप को चारों ओर से घेरता है। 
    • आर्कटिक महासागर उत्तर ध्रुव वृत्त में स्थित है। यह प्रशांत महासागर से छिछले जल वाले एक संकरे भाग से जुड़ा है जिसे बेरिंग जलसंधि कहते है। 

    4. वायुमण्डल :

    1. हमारी पृथ्वी चारो ओर से गैस की एक परत से घिरी हुई है, जिसे वायुमण्डल कहा जाता है। 
    वायुमण्डल की परतो को याद करने का आसान तरीका 

    छोड़ सब मै आया बहार -
    छोड़-क्षोभमण्डल 
    सब-समतापमण्डल 
    मै-मध्य मण्डल 
    आया-आयन मण्डल 
    बहार-बहिर्मण्डल 

    2. वायुमण्डल 1600 किलोमीटर की ऊँचाई तक फैला है। इसे इसके घटको , तापमान तथा अन्य के आधार पर पाँच परतो में बाँटा गया है। 

    क्षोभमण्डल :

    इसकी ऊँचाई धरातल से लगभग 15-16 किलोमीटर तक है इसे ट्रोपोस्पीयर कहते है इसे टीजरेंस डी बोर्ट ने नामकरण किया था। 
    • सभी मौसमी घटनाओं के लिए क्षोभमण्डल ही उत्तरदायी है। 
    • समस्त गैसीय द्रव्यमान का 75% इसी में पाया जाता है। 

    समताप मण्डल (स्ट्रेटोपॉज ):

    इसकी ऊँचाई धरातल से 50 किलोमीटर ऊँचा। 
    • वायुयान इसी मण्डल में उड़ाए जाते है। 
    • ओजोन मण्डल की परत भी इसीमे पायी जाती है। 

    मध्य मंडल ( मेसोपॉज ):

    धरातल से 80 किलोमीटर तक क्षोभमण्डल से बढ़ती ऊँचाई के साथ तापमान में गिरावट आती है और यह मध्य मण्डल तक तापमान में गिरावट होती है उसके बाद तापमान में वृद्धि होने लगाती है। 

    आयन मण्डल :

    इसका विस्तार 80-640 किलोमीटर तक है। आयनमण्डल में आयनो की प्रधानता है इसलिए रेडियो तरंगो को पृथ्वी पर परावर्तित कर संचार व्यवस्था को संभव बनाता है। 

    बहिर्मण्डल :

    मध्यमण्डल के ऊपर जाते ही तापमान बढ़ने लगता है यह बहिर्मण्डल में लगभग 5000  डिग्री सेंटीग्रेट तक हो जाता है। 
    3.वायुमण्डल मुख्यतः ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन का बना है जिसमे आयतन के अनुसार नाइट्रोजन 78%, ऑक्सीजन 21% तथा दूसरी गैसें जैसे-कार्बन डाई ऑक्साइड , ऑर्गन आदि की मात्रा 1% है। 
    • ऑक्सीजन साँस लेने के लिए जबकि नाइट्रोजन प्राणियों की वृध्दि के लिए आवश्यक है। 
    • कार्बन डाई ऑक्साइड पृथ्वी के द्वारा छोड़ी गई ऊष्मा को अवशोषित करती है, जिससे पृथ्वी गर्म रहती है यह पौधों की वृद्धि के लिए भी आवश्यक है। 
    4. ऊँचाई के साथ वायुमण्डल में घनत्व में भिन्नता आती है जैसे-जैसे हम ऊपर की ओर जाते है यह तेजी के साथ घटता जाता है। 
    • ऊपर की और जाते है तो तापमान भी घटता जाता है। 
    नोट- वायु उच्च दाब से निम्न दाब की ओर बहती है। गतिशील वायु को पवन कहा जाता है। 

    जीवमण्डल :

    यहाँ जीवों की बहुत सी प्रजातियां है , जो की सूक्ष्म जीवो तथा बैक्टीरिया से लेकर बड़े स्तन धारियों के आकार में पाई जाती है। 
    • जीव मण्डल के प्राणियों को मुख्यतः दो भागो- जंतु-जगत एवं पादप-जगत में विभक्त किया जा सकता है। 
    नोट- कार्बनडाई ऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है। इसे भूमण्डलीय ताप कहा जाता है। 

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