NCERT Class 6 (Chapter-6 पृथ्वी के प्रमुख घातक) Geography in Hindi pdf notes

hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-6 Geography ( Chapter- 6) (पृथ्वी के प्रमुख घातक Notes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी। 

    Chapter-6

    पृथ्वी के प्रमुख घातक-

    स्थल रूप दो प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप बनाते है। 
    • आतंरिक प्रक्रिया : बहुत से स्थानों पर पृथ्वी की सतह कही ऊपर उठ जाती है तो कही धँस जाती है। 
    • बाह्य प्रक्रिया : स्थल के लगातार बनने एवं टूटने की प्रक्रिया है। 
    नोट- पृथ्वी की सतह के टूटकर घिस जाने को अपरदन कहते है। तथा निक्षेपण की प्रक्रिया के द्वारा इनका फिर से निर्माण होता है। 

    पर्वत :

    1. 600 मीटर से अधिक ऊँचाई एवं खड़ी ढाल वाली पहाड़ी को पर्वत कहा जाता है। 

    2. कुछ पर्वतों पर हमेशा जमी रहने वाली बर्फ की नदियाँ होती है। उन्हें हिमानी कहा जाता है। 
    3. पर्वत एक रेखा क्रम में भी व्यवस्थित हो सकते है जिसे श्रृंखला कहा जाता है। 
    4. पर्वत तीन प्रकार के होते है-
    a) वलित पर्वत :हिमालय तथा आल्प्स वलित पर्वत है जिनकी ऊबड़-खाबड़ तथा शिखर शंक्वाकार है। 
    • भारत की अरावली श्रृंखला विश्व की सबसे पुरानी वलित पर्वत श्रृंखला है। 
    • उत्तर अमेरिका का अप्लेशियन तथा रूस के यूराल पर्वत पुराने वलित पर्वत है। 
    b)भ्रंशोत्थ पर्वत :जब बहुत बड़ा भाग टूट जाता है तथा ऊर्ध्वाधर रूप से विस्थापित हो जाता है तब भ्रंशोत्थ पर्वत का निर्माण होता है। 
    • ऊपर उठे हुए खंड को ( हार्स्ट ) तथा नीचे धँसे हुए खण्ड को भ्रंश ( ग्राबेन ) कहा जाता है। 
    • यूरोप की राइन घाटी तथा वॉसजेस पर्वत इस तरह के पर्वत तंत्र के उदहारण है। 
    c) ज्वालामुखी पर्वत :यह ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण बनते है। अफ्रीका का माउण्ट किलिमंजारो तथा जापान का फ्युजियामा इस तरह के पर्वतों के उदहारण है। 
    नोट- प्रशांत महासागर में स्थित मनाकी पर्वत ( हवाई द्वीप ) सागर की सतह के नीचे स्थित है। इसकी ऊँचाई (10205 मीटर ) एवरेस्ट शिखर से अधिक है। 

    पठार :

    1. पठार उठी हुई सपाट भूमि होती है। पठारों की ऊँचाई प्रायः कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है। 
    2. भारत में दक्कन पठार पुराने पठारों में से एक है। 
    • केन्या, तंजानिया तथा युगांडा का पूर्वी पठार एवं ऑस्ट्रेलिया का पश्चिमी पठार इस प्रकार के उदहारण है। 
    3. तिब्बत का पठार विश्व का सबसे ऊँचा पठार  है इसकी ऊँचाई माध्य समुद्र तल से 4000 से 6000 मीटर तक है। 

    पहाड़ो का महत्त्व :

    पर्वत जल के संग्रहागार होते है। नदियों का स्रोत। प्राकृतिक वन सम्पदा पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते है। 

    पठारों का महत्त्व :

    • विश्व के बहुत से खनिज क्षेत्र पठारी भागों में स्थित है। पठारों में खनिजों की प्रचुरता होती है। 
    • अफ्रीका का पठार सोना एवं हीरों के खनन के लिए प्रसिद्ध है। 
    • भारत में छोटानागपुर के पठार में लोहा , कोयला तथा मैगनीज के बहुत बड़े भंडार पाए जाते है। 
    नोट- पठारी क्षेत्र में बहुत से जल प्रपात हो सकते है, क्योकि यहाँ नदियाँ ऊँचाई से गिरती है। भारत में छोटानागपुर पठार पर स्वर्ण रेखा नदी पर स्थित हुंडरू जलप्रपात तथा कर्नाटक में जोगजलप्रापत इस प्रकार के पठारी जलप्रपातों के उदहारण है। 
    नोट- लावा पठार में काली मिटटी की प्रचुरता होती है। 

    मैदान :

    1. ये सामान्यतः मध्य समुद्री तल से 200 मीटर से अधिक ऊँचे नहीं होते है। 
    2. अधिकांश मैदान नदियों तथा उनकी सहायक नदियों के द्वारा बने है। 
    • नदियाँ अपरदित पदार्थो को अपने साथ आगे की ओर ले जाती है। अपने साथ ढोए जाने वाले पदार्थो जैसे-पत्थर, बालू तथा सिल्ट को वे घाटियों में निक्षेपित कर देती है। 
    • इन्ही निक्षेपण से मैदानों का निर्माण होता है। 
    3. एशिया में स्थित भारत में गंगा एवं ब्रम्हपुत्र का मैदान तथा चीन में यांगत्से नदी का मैदान इसके ( मैदानों ) के प्रमुख उदहारण है। 
    4. भारत में गंगा का मैदान देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है। 

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