NCERT CIVICS/POLITY CLASS-8 अध्याय 5: हाशिए पर रहना समझना
अध्याय 5: हाशिए पर रहना समझना
इस ब्लॉग पोस्ट में हाशिए पर रहने के अर्थ और इसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई है। जानिए कि आदिवासी कौन हैं, उनका समाज कैसा होता है, और उनके सामने आने वाली चुनौतियाँ क्या हैं। हम आदिवासी संस्कृति, उनके विकास के मुद्दों और सरकारी नीतियों पर भी बात करते हैं। यह पोस्ट उन आदिवासी समूहों की भी चर्चा करती है जो रूढ़िवादिता और सामाजिक बहिष्कार का सामना करते हैं। आदिवासियों के जंगलों और उनके संसाधनों का महत्व भी उजागर किया गया है। जानिए कैसे औद्योगिकीकरण और खनन ने आदिवासियों को प्रभावित किया है और नक्सली आंदोलन का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा, हम महत्वपूर्ण आदिवासी लेखकों और उनके साहित्य के माध्यम से आदिवासी संघर्षों को भी सामने लाते हैं। यह पोस्ट उन नीतियों और योजनाओं पर भी प्रकाश डालती है जो आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाई गई हैं।
इस ब्लॉग में:
- हाशिए पर रहने का अर्थ और उसके कारण
- आदिवासी समाज और उनकी संस्कृति
- आदिवासी और विकास से जुड़ी समस्याएं
- सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ
- आदिवासी साहित्य और संस्कृति
यह पोस्ट हाशिए पर रहने वाले समुदायों के प्रति सहानुभूति और समझ विकसित करने के उद्देश्य से लिखी गई है। सरकारी और सामाजिक प्रयासों की आवश्यकता और शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया गया है।
हाशिए पर रहने का क्या मतलब है?
- हाशिए पर रहने का मतलब है मुख्यधारा से बाहर रहना।
- यह सामाजिक बहिष्कार का अनुभव हो सकता है।
- भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक कारणों से हो सकता है।
- हाशिए पर रहने वाले समुदायों को संसाधनों और अवसरों तक पहुंच नहीं मिलती।
आदिवासी और हाशिए पर रहना
आदिवासी कौन हैं?
- आदिवासी का अर्थ है 'मूल निवासी'।
- भारत की जनसंख्या का लगभग 8% हिस्सा आदिवासी है।
- प्रमुख राज्यों में: छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्य।
आदिवासी समाज
- 500 से अधिक आदिवासी समूह।
- जाति-वरना प्रणाली से भिन्न।
- पूर्वजों, ग्राम और प्राकृतिक आत्माओं की पूजा।
- अन्य धर्मों का प्रभाव जैसे शाक्त, बौद्ध, वैष्णव, भक्ति और ईसाई धर्म।
आदिवासी और रूढ़िवादिता
- आदिवासियों को पारंपरिक पोशाकों और नृत्य के रूप में प्रदर्शित करना।
- आदिवासियों को पुरातन और पिछड़ा समझना।
आदिवासी और विकास
- आदिवासी क्षेत्रों में खनन और औद्योगिकीकरण।
- ज़मीन का बलपूर्वक अधिग्रहण।
- आदिवासियों का विस्थापन और शोषण।
आदिवासी और जंगल
- 10,000 से अधिक पौधों की प्रजातियों का उपयोग।
- 8,000 औषधीय पौधे, 325 कीटनाशक, 425 रेजिन और डाई, 550 फाइबर और 3,500 खाद्य प्रजातियाँ।
- जंगलों की कटाई और औद्योगिक परियोजनाओं से विस्थापन।
सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ
अनुसूचित जनजाति
- सरकारी दस्तावेजों में आदिवासी के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द।
- अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकार।
नक्सली आंदोलन
- आदिवासी क्षेत्रों में नक्सलवाद का प्रभाव।
- नक्सली आंदोलन का मुख्य कारण भूमि और संसाधनों पर अधिकार।
आदिवासी साहित्य और संस्कृति
महत्वपूर्ण लेखक
रशसुंदरी देवी और रोकेया बेगम के लेखन।
आदिवासी संघर्षों का साहित्य।
निष्कर्ष
- हाशिए पर रहने वाले समुदायों की पहचान और सहानुभूति।
- सरकारी और सामाजिक प्रयासों की आवश्यकता।
- शिक्षा और जागरूकता का महत्व।
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