NCERT Class 7 (Chapter-2 हमारी पृथ्वी के अंदर ) Geography in Hindi pdf notes


hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-7 Geography ( Chapter- 2) (हमारी पृथ्वी के अंदरNotes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी। 

    Chapter-2 

    हमारी पृथ्वी के अंदर 

    1. पृथ्वी की सतह की सबसे ऊपरी परत को पर्पटी कहते है। यह सबसे पतली परत होती है। 
    • यह महाद्वीपीय संहति में 35 Km. मोटाई एवं समुद्री सतह में केवल 5 Km. तक है। 
    • महाद्वीपीय संहति मुख्य रूप से सिलिका एवं ऐलुमिना जैसे खनिजों से बनी है। इसलिए इसे सीएल ( सि-सिलिका तथा एल- एलुमिना ) कहा जाता है। 
    • महासागर की पर्पटी मुख्यतः सिलिका एवं मैगनीशियम की बनी है ; इसलिए इसे सिमै ( सि-सिलिका तथा मै- मैगनिशियम ) कहा जाता है। 

    2. पर्पटी के ठीक नीचे मैंटल होता है जो 2900 किलोमीटर की गहराई तक फैला होता है। 
    • इसकी सबसे आतंरिक परत क्रोड होता है, जिसकी त्रिज्या लगभग 3500 km. है। यह मुख्यतः निकल एवं लोहे की बनी होती है तथा इसे निफे ( नि- निकिल तथा फे-फैरस ) कहते है। 
    • केंद्रीय क्रोड का तापमान एवं दाब काफी उच्च होता है। 
    3. पृथ्वी के आयतन का केवल 1% हिस्सा ही पर्पटी है 84% मैंटल एवं 15% हिस्सा क्रोड  है। 
    4. पृथ्वी की त्रिज्या 6371 किलोमीटर है। 
    नोट- विश्व की सबसे गहरी खान दक्षिण अफ्रीका में स्थित है। 
    • इसकी गहराई लगभग 4 Km. है तेल की खोज में इंजीनियर 6 Km. गहराई तक खोद चुके है। 
    नोट- पृथ्वी के केंद्र तक पहुँचाने के लिए समुद्र तल पर 6000 Km. गहराई तक खोदना होगा। 

    शैल एवं खनिज :

    1. खनिज की पर्पटी बनाने वाले खनिज पदार्थ के किसी भी प्राकृतिक पिंड को शैल कहते है। 
    2. शैल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है- a) आग्नेय ( इग्नियास ) शैल , b) अवसादी ( सेडीमेंट्री ) शैल , c) कायांतरित ( मेटामॉरफिक ) शैल। 
    a )आग्नेय शैल : आग्नेय ( इग्नियास ), इग्नियास लैटिन शब्द इन्ग्निस , जिसका अर्थ है अग्नि। द्रवित मैग्मा ठंडा होकर ठोस हो जाता है। इस प्रकार बने शैल को आग्नेय शैल कहते है। इन्हे प्राथमिक शैल भी कहते है। इसके दो प्रकार होते है। 
    • अंतर्भेदी शैल :ग्रेनाइट-इसका प्रयोग लेई। मसालों तथा दानो का चूर्ण बनाने के लिए किया जाता है। 
    • बहिर्भेदी शैल :इनकी संरचना बहुत महीन दानो वाली होती है ;जैसे-बेसाल्ट।  दक्कन का पठार बेसाल्ट शैलों से ही बना है। 
    b) अवसादी शैल : अवसादी शैल लुढ़ककर ,चटककर तथा एक-दूसरे से टकराकर छोटे-छोटे टुकड़ो में टूट जाती है। इन छोटे कणों को अवसाद कहते है तथा इससे बने शैल अवसादी शैल कहलाते है। 
    • अवसादी सेडीमेंट्री का हिंदी रूपांतरण है। सेडीमेंट्री लैटिन भाषा सेडीमेंटम, जिसका अर्थ है स्थिर। 
    • बलुआ पत्थर रेट के दानो से बना है इसलिए ये अवसादी चट्टान है। इन शैलो ( अवसादी ) में पौधों , जानवरों एवं अन्य सूक्ष्म जीवाणुओं , जो भी कभी इन शैलो पर रहे है, के जीवाश्म भी हो सकते है। 
    • जीवाश्म- शैलो की परतो में दबे मृत पौधों एवं जन्तुओ के अवशेषों को जीवाश्म कहते है। 
    c) कायांतरित शैल :मेटामॉरफिक शब्द ग्रीक शब्द मेटामॉरफिस,जिसका अर्थ है रूप परिवर्तन। 
    • आग्नेय एवं अवसादी शैल उच्च ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैलो में परिवर्तित हो जाती है। जैसे-चिकनी मिटटी स्लेट में एवं चूना पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है। 

    खनिज :

    प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ है जिनका निश्चित भौतिक गुणधर्म एवं निश्चित रासायनिक मिश्रण होता है। जैसे-ईधन- कोयला प्राकृतिक गैस एवं पेट्रोलियम। 

    उद्योग , औषधि एवं उर्वरक :

    लोहा, एल्युमिनियम, सोना यूरेनियम आदि। 

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