NCERT Class 7 (Chapter-3 पृथ्वी की गतियाँ) Geography in Hindi pdf notes


hi friends आप सब कैसे है। आशा करता हु की आप सब अच्छे होंगे। आज हम सब hindi में NCERT Class-7 Geography ( Chapter- 3) (पृथ्वी की गतियाँNotes and summary in Hindi me आगे पढ़ेंगे और एक अच्छे से notes तैयार करेंगे जो आने वाले आगामी किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में हेल्प करेगी। 

    Chapter-3

    पृथ्वी की गतियाँ 

    1. स्थल मण्डल अनेक प्लेटो में विभाजित है, जिन्हे स्थलमण्डलीय प्लेट कहते है। 
    • प्लेटो में गति पृथ्वी के अंदर पिघले हुए मैग्मा में होने वाली गति के कारण होता है। मैग्मा वृत्तीय रूप में घूमता रहता है। 
    • प्लेट की इस गति के कारण पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन होता है। 
    2. पृथ्वी की गति उन बलों के आधार पर विभाजित किया गया है जिनके कारण ये गतियां उत्पन्न होती है। 
    पृथ्वी की गतियाँ : a) अंतर्जनित बल ( एन्डोजेनिक फ़ोर्स ) तथा b) बहिर्जनिक बल ( एक्सोजेनिक फ़ोर्स )

    3. ज्वालामुखी :

    ज्वालामुखी भू-पर्पटी पर खुला एक ऐसा छिद्र होता है , जिससे पिघले हुए पदार्थ अचानक निलते है। 

    4. भूकंप :


    स्थलमण्डलीय प्लेटों के गति करने पर पृथ्वी की सतह पर कम्पन होता है। इस कम्पन को भूकम्प कहते है। भू-पर्पटी के नीचे वह स्थान जहाँ कम्पन आरम्भ होता है ,उसे उदगम केंद्र कहते है। उदगम केंद्र के भूसतह पर उसके निकटतम स्थान को अधिकेंद्र कहते है। 
    • अधिकेंद्र से कम्पन बाहर की ओर तरंगों के रूप में गमन कराती है। तथा सर्वाधिक हानि अधिकेंद्र में ही होती है। तथा इससे दूरी बढ़ने के साथ भूकंप की तीव्रता धीरे-धीरे कम होती जाती है। 

    5. भूकम्पीय तरंगे :

    भूकम्पीय तरंगे तीन प्रकार की होती है। 
    • P तरंगे अथवा अनुदैर्ध्य तरंगे। 
    • S तरंगे अथवा अनुप्रस्थ तरंगे। 
    • L तरंगे अथवा पृष्ठीय तरंगे। 
    6. भूकंप का मापन भूकंपलेखी से किया जाता है। 
    • भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। 
    • भूकंप की तीव्रता 2.0 है तो उसका कोई प्रभाव नहीं होता है। 
    • यदि भूकंप की तीव्रता 5.0 है वह वस्तुओं के गिरने से क्षति पंहुचा सकता है। 
    • यदि भूकंप की तीव्रता 6.0 या उससे अधिक है तो बहुत शक्तिशाली होता है। 
    • यदि तीव्रता 7.0 अथवा अधिक होती है , वह सर्वाधिक शक्तिशाली समझा जाता है। 

    मुख्य स्थलाकृतियाँ :

    1. पृथ्वी की सतह पर शैलों के टूटने से अपक्षय की क्रिया होती है। 
    2. भू-दृश्य पर जल , पवन एवं हिम जैसे विभिन्न घटको के द्वारा होने वाले क्षय को अपरदन कहते है। 
    3. अपरदन एवं निक्षेपण के ये प्रक्रम पृथ्वी के धरातल पर विभिन्न स्थलकृतियों का निर्माण करते है। 

    नदी के कार्य :

    1. जब नदी किसी खड़े ढाल वाले स्थान से अत्यधिक कठोर शैल या खड़े ढाल वाली घाटी में गिरती है तो यह जल प्रपात बनाती है। 
    नोट- सबसे ऊँचा जलप्रपात दक्षिण अमेरिका के वेनेजुएला का एंजेल जलप्रपात है। 
    • उत्तरीय अमेरिका कनाडा तथा जिम्बाम्बे की सीमा पर नियाग्रा जलप्रपात है। 
    • अफ्रीका में जाम्बिया एवं जिम्बाम्बे की सीमा पर विक्टोरिया जलप्रपात है। 
    2. जब नदी मैदानी क्षेत्र में पहुँचती है , तो वह मोड़दार मार्ग पर बहने लगती है। नदी के इन्ही मोड़ों की विसर्प कहते है 
    3. समय के साथ विसर्प लूप नदी से कट जाते है और एक अलग झील बनाते है , जिसे चाप झील भी कहते है। 
    4. बाढ़ के कारण नदी के तटों के निकटवर्ती क्षेत्रों में महीन मिटटी एवं अन्य पदार्थो का निक्षेपण करती है। इससे समतल उपजाऊ बाधाकृत मैदान का निर्माण होता है। 5. नदी के उत्थित तटों को तटबंध कहते है। 
    6. समुद्र तक पहुंचते-पहुंचते नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है तथा नदी अनेक धाराओं में विभाजित हो जाती है जिनको वितरिका कहा जाता है। 
    • अपने साथ लाये मलवे का निक्षेपण करने लगती है। सभी मुहानो के अवसादों के संग्रह से डेल्टा का निर्माण होता है। 

    समुद्री तरंग के कार्य :

    1. समुद्री तरंगे लगातार शैलो से टकराती रहती है ,जिससे दरार विकसित होती है। इनको समुद्री गुफा कहते है। 
    • इन गुफाओ के बड़े होते जाने पर इनमे केवल छत ही बचती है ,जिससे तटीय मेहराब बनते है 
    • लगातार अपरदन छत को भी तोड़ देता है और केवल दीवारें बचती है। इन आकृतियों को स्टैक कहते है। 
    2. समुद्र जल के ऊपर लगभग ऊर्ध्वाधर उठे हुए ऊँचे शैलीय तटों को समुद्री भृगु कहते है। 
    3. समुद्री तरंगे किनारे पर अवसाद जमा कर समुद्री पुलिन का निर्माण करती है। 

    हिमनद के कार्य :

    1.  हिमनद अथवा हिमानी बर्फ की नदियाँ होती है , ये गोलाश्मी मिटटी और पत्थरों को अपरदित कर देती है। 
    • हिमनद गहरे गर्तो का निर्माण करते है। पर्वतीय क्षेत्र में बर्फ पिघलने से उन गर्तों में जल भर जाता है और वे सुन्दर झील बन जाते है। 
    2. हिमनद द्वारा लाए गए पदार्थ, जैसे-छोटे-बड़े शैल, रेट एवं तलछट मिटटी निक्षेपण होते है।  ये निक्षेप हिमनद हिमोढ़ का निर्माण करते है। 

    पवन के कार्य :

    1. रेगिस्तान में पवन, अपरदन एवं निक्षेपण का प्रमुख करक है। 
    2. रेगिस्तान में छत्रक के आकार के शैल को छत्रक ( छतरी ) शैल कहते है। 
    • पवन शैल के ऊपरी भाग के अपेक्षा निचले भाग को आसानी से कटती है। 
    3. पवन चलने पर यह अपने साथ रेट को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाती है। यह रेट गिरकर छोटी पहाड़ी बनाती है। इनको बालू टिब्बा कहते है। 
    4. जब ये बालू के कण विस्तृत क्षेत्र में निक्षेपित हो जाते है, तो इसे लोएस कहते है। 
    • चीन में सबसे ज्यादा विशाल लोएस निक्षेप पाए जाते है। 

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