ncert class-7 civics/ polity chapter-3 notes in hindi
राज्य शासन कैसे काम करता है
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शासन तीन स्तरों पर काम करता
है- स्थानीय, राज्य और केंद्र।
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इस अध्याय में हम जानेंगे
कि राज्य स्तर पर शासन कैसे कार्य करता है।
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लोकतंत्र में राज्य का शासन
किस तरह किया जाता है?
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विधानसभा सदस्यों और मंत्रियों
की क्या भूमिका है?
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लोग शासन के सामने अपने विचार
कैसे रखते हैं या किसी कार्य की माँग कैसे करते हैं?
विधायक कौन होता है?
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विधानसभा के सदस्य को
'विधायक' (एम.एल.ए.) कहा जाता है। एम.एल.ए. 'मेम्बर ऑफ लेजिस्लेटिव असेंबली' का संक्षिप्त रूप है।
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एम.एल.ए का चुनाव जनता द्वारा
किया जाता है। फिर वे लेजिस्लेटिव असेंबली के मेंबर यानी विधानसभा के सदस्य बन जाते
हैं और सरकार बनाते हैं।
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विधायक जनता का प्रतिनिधित्व
करते हैं।
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भारत के हर राज्य में एक विधानसभा
है। हर राज्य कई निर्वाचन क्षेत्रों में बँटा हुआ है।
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उदाहरण के लिए,
हिमाचल प्रदेश 68 निर्वाचन क्षेत्रों में बेटा है।
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हर निर्वाचन क्षेत्र से जनता
एक प्रतिनिधि चुनती है. जो विधानसभा का सदस्य यानी विधायक बन जाता है।
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चुनाव में लोग अलग-अलग पार्टियों
के नाम से खड़े होते है। इसलिए ये विधायक अलग-अलग राजनीतिक दलों के होते हैं।
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जिस राजनीतिक दल के विधायक
आधे से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में जीत जाते हैं, राज्य
में उस दल को बहुमत में माना जाता है।
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बहुमत प्राप्त करने वाले राजनीतिक
दल को सत्ता पक्ष और अन्य सबको विरोधी पक्ष वाला कहा जाता है।
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उदाहरण के लिए हिमाचल प्रदेश
की विधानसभा में विधायकों के 68 निर्वाचन क्षेत्र है। विभिन्न
राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने 2017 का विधानसभा 'चुनाव
जीता और वे विधायक बन गए। विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 68 है। इसलिए बहुमत
प्राप्त करने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को 34 से अधिक विधायकों की आवश्यकता होगी।
भारतीय जनता पार्टी के 44 विधायक होने के कारण उन्हें बहुमत मिल गया और वे सत्ताधारी
दल के सदस्य बन गए। अन्य सब विधायक विरोधी दल के सदस्य बन गए।
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चुनाव के बाद सत्ताधारी दल
के विधायक अपने नेता का चुनाव करते हैं, जो मुख्यमंत्री
बनता है।
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इसके बाद मुख्यमंत्री,
मंत्रियों का चयन करता है। चुनाव के बाद राज्य का राज्यपाल मुख्यमंत्री
और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
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मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों
का यह दायित्व है कि वे शासन के विभिन्न विभागों या मंत्रालयों को चलाएँ।
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विधानसभा ऐसा स्थान होता है
जहाँ सभी विधायक, चाहे वे सत्ताधारी दल के हों
अथवा विरोधी दल के विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होते हैं।
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इस तरह कुछ विधायकों की दोहरी
जिम्मेदारी हो जाती है- एक विधायक के रूप में और दूसरी मंत्री के रूप में।
विधानसभा में एक बहस:-
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विधानसभा एक अत्यंत भव्य तथा
प्रभावशाली भवन में स्थित थी। ऊपर एक दर्शक दीर्घा थी जहाँ से वे नीचे के विशाल हॉल
को देख सकते थे। हॉल में डेस्कों की अनेक कतारें लगी थीं।
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विधानसभा की बहसों में विधायक
अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, संबंधित विषय पर प्रश्न
पूछ सकते हैं या सुझाव दे सकते हैं कि सरकार को इस संबंध में क्या करना चाहिए।
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सदस्य इस विषय पर जो भी प्रतिक्रिया
व्यक्त करना चाहें, कर सकते हैं। इसके बाद मंत्री
प्रश्नों के उत्तर देते हैं और सदन को आश्वस्त करते हैं कि जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों
को निर्णय लेने होते हैं और सरकार चलानी होती है।
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जो भी निर्णय लिए जाते हैं,
उन्हें विधानसभा के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है।
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लोकतंत्र में विधानसभा सदस्य,
मंत्रियों व मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछ सकते हैं, किसी महत्त्वपूर्ण विषय पर बहस कर सकते हैं. निर्णय ले सकते हैं कि धन कहाँ
खर्च किया जाना चाहिए, आदि।
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विधायक सामूहिक रूप से सरकार
के काम के लिए उत्तरदायी होते हैं।
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सामान्य भाषा में
'सरकार' शब्द से तात्पर्य शासन के विभिन्न विभागों
और मंत्रियों से होता है, जो उनके प्रभारी हैं। इन सबका सामूहिक
प्रमुख 'मुख्यमंत्री' होता है।
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सही मायने में तो यही सरकार
का कार्यकारी हिस्सा यानी कार्यपालिका कहलाता है।
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सारे विधायक,
जो विधानसभा में एकत्र होते हैं, विधायिका कहलाते
हैं।
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विधायिका के रूप में वे सरकार
के कार्यकारी हिस्से को काम करने का अधिकार देते हैं और फिर उसके काम की जाँच भी करते
हैं।
शासन की कार्यप्रणाली:-
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केवल विधानसभा में ही सरकार
के काम के बारे में टीका-टिप्पणी और सरकार से कार्रवाई करने की मांग नहीं की जाती।
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लोकतंत्र में अनेक माध्यमों
द्वारा लोग अपने विचार व्यक्त करते हैं और कार्रवाई करते हैं।
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विधानसभा में चर्चा होने के
थोड़े ही समय बाद स्वास्थ्य मंत्री की प्रेसवार्ता की गई। इसमें विभिन्न समाचारपत्रों
के प्रतिनिधि काफी संख्या में आए। इसमें मंत्री और कुछ शासकीय अधिकारी भी उपस्थित थे।
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मंत्री ने सरकार द्वारा उठाए
गए कदमों के बारे में बताया। इस प्रेसवार्ता में अखबारों के संवाददाताओं ने अनेक प्रश्न
पूछे। इन चर्चाओं की रिपोर्ट विभिन्न समाचारपत्रों में प्रकाशित हुई।
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मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य
मंत्री पातालपुरम जिले के दौरे पर गए।
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उन्होंने उन परिवारों से भेंट
की,
जिनके रिश्तेदारों की मृत्यु हो गई थी। ये अस्वस्थ लोगों को देखने अस्पताल
भी गए। सरकार ने इन परिवारों के लिए मुआवजा राशि की भी घोषणा की।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके
विचार से समस्या केवल सफाई की नहीं है, वरन् पीने
के स्वच्छ पानी की कमी की भी है। उन्होंने कहा कि एक
उच्चस्तरीय जाँच समिति गठित की जाएगी, जो सफाई सुविधाओं
के लिए जिले की जरूरतों के बारे में विचार करेगी और लोक निर्माण मंत्री को दिशा-निर्देश
देगी ताकि ये क्षेत्र में पानी की उचित व्यवस्था पर ध्यान दे सकें।
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मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य
मंत्री उन्हें समस्याओं पर कार्रवाई करनी होती है। ये यह कार्य विभिन्न विभागों द्वारा
करवाते हैं, जैसे-लोक निर्माण विभाग, कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा
विभाग, आदि।
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उन्हें विधानसभा में उठाए
गए प्रश्नों का भी उत्तर देना होता है और प्रश्न करने वाले लोगों को आश्वस्त करना होता
है कि उचित कदम उठाए जा रहे हैं।
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इसके साथ-साथ समाचारपत्रों
व अन्य माध्यमों में भी इन विषयों पर चर्चा होती है, जिसका
उत्तर सरकार को देना होता है- जैसे प्रेसवार्ता आयोजित करना।
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सरकार,
साफाई और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नए कानून बनाने का भी निर्णय ले सकती
है। वह कानून बनाकर हर नगर निगम के लिए यह अनिवार्य कर सकती है
मुख्यमंत्री ने किया धनराशि
का वादा:-
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पिछले कुछ सप्ताहों में राज्य
के कुछ जिलों में अनेक लोग मीत का शिकार हो चुके हैं। इस बात पर तीव्र प्रतिक्रिया
हुई है कि सरकार ने स्थिति को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया है।
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आज हुई प्रेसवार्ता में स्वास्थ्य
मंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने सभी जिलाधीशों तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को
आवश्यक कदम उठाने हेतु निर्देश दिए हैं।
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मुख्यमंत्री ने इस कार्य के
लिए धन उपलब्ध कराने का वचन दिया है। उनकी योजना एक जन अभियान चला कर लोगों को यह जानकारी
देने की भी है कि किन उपायों द्वारा हैजे से बचा जा सकता है।
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हर ग्राम में एक स्वास्थ्यकर्मी
की नियुक्ति हो ।
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किसी विषय पर कानून बनाने
का यह कार्य प्रत्येक राज्य की विधानसभा द्वारा किया जाता है। इसके पश्चात् विभिन्न
शासकीय विभाग इन कानूनों का क्रियान्वयन करते हैं।
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पूरे देश के लिए कानून संसद
में बनाए जाते हैं।
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लोकतंत्र में विधायकों (एम.एल.ए.)
के रूप में जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है और इस तरह शासन मुख्यतः जनता का ही होता है।
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