NCERT Class 7 Civics: साप्ताहिक बाज़ार की विशेषताएँ और महत्व
हमारे आस-पास के बाज़ार
परिचय
हमारे आस-पास के बाज़ार हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। ये बाज़ार विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे- साप्ताहिक हाट, पड़ोस की दुकानें, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल। साप्ताहिक हाट में सस्ते दामों पर वस्त्र, सब्ज़ियाँ और घरेलू सामान मिलते हैं, जबकि पड़ोस की दुकानें हमारी रोज़मर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। शहरी क्षेत्रों में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल, ब्रांडेड और महंगे उत्पादों का केंद्र होते हैं। इन बाज़ारों में समान की विविधता और उपलब्धता हमारे जीवन को सरल बनाती है। परंतु, ये बाजार भी असमानता का परिचायक होते हैं, जहां छोटे दुकानदार कम मुनाफा कमाते हैं और बड़े व्यापारी अधिक लाभ पाते हैं। इस लेख में हम विभिन्न बाज़ारों की संरचना, उनकी कार्यप्रणाली और उनमें मौजूद चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
हमारे आस-पास कई प्रकार के बाज़ार होते हैं जहाँ हम अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के सामान खरीदते हैं। इन बाज़ारों में सब्ज़ियाँ, साबुन, दंतमंजन, मसाले, ब्रेड, बिस्किट, चावल, दाल, कपड़े, किताबें, और कॉपियाँ आदि मिलते हैं। आइए, इन विभिन्न प्रकार के बाज़ारों और उनकी विशेषताओं को विस्तार से समझें।
साप्ताहिक बाज़ार
साप्ताहिक बाज़ार किसी एक निश्चित दिन लगता है और इसमें पक्की दुकाने नहीं होती हैं। व्यापारी सुबह दुकान लगाते हैं और शाम को समेट लेते हैं। अगले दिन वे किसी और जगह पर दुकान लगाते हैं। ये बाज़ार देशभर में हज़ारों की संख्या में होते हैं और लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के लिए यहाँ आते हैं।
1.सस्ते दाम: साप्ताहिक बाज़ारों में सामान सस्ते दामों पर मिलता है क्योंकि यहाँ के दुकानदारों को पक्की दुकानों के किराए, बिजली बिल, सरकारी शुल्क आदि नहीं देने पड़ते। इसके अलावा, ये दुकानदार अपने घरों में ही सामान जमा करके रखते हैं जिससे अलग से कर्मचारी रखने की ज़रूरत नहीं होती।
2.प्रतियोगिता: साप्ताहिक बाज़ारों में एक ही तरह के सामानों के लिए कई दुकानें होती हैं, जिससे प्रतियोगिता होती है। खरीदारों के पास मोल-तोल करके भाव कम करवाने का अवसर होता है।
3.सभी सामान एक जगह: यहाँ ज़रूरत का सभी सामान एक ही जगह मिल जाता है, जिससे अलग-अलग सामान के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में जाने की ज़रूरत नहीं होती।
मोहल्ले की दुकानें
मोहल्ले की दुकानों से हम कई तरह का सामान खरीद सकते हैं। पास की डेयरी से दूध, किराना दुकानदार से तेल-मसाले व अन्य खाद्य पदार्थ, स्टेशनरी की दुकानों से कागज़-कलम, और दवाइयों की दुकानों से दवाई खरीद सकते हैं। ये दुकानें पक्की और स्थायी होती हैं और साप्ताहिक बाज़ारों की तरह रोज़ दुकान लगाने-समेटने का काम नहीं करना पड़ता।
1.निकटता और सुविधा: ये दुकानें हमारे घरों के करीब होती हैं और किसी भी समय इनसे सामान खरीदा जा सकता है।
2.उधार की सुविधा: मोहल्ले की दुकानों के दुकानदार ग्राहकों को उधार भी देते हैं, जिससे आज खरीदे गए सामान का भुगतान बाद में किया जा सकता है।
3.विविधता: मोहल्ले में कई तरह के दुकानदार होते हैं, जिनमें पक्की दुकानों वाले और फुटपाथ पर दुकान सजाने वाले दोनों शामिल हैं।
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल
शहरों में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल होते हैं जहाँ एक साथ कई तरह की दुकाने होती हैं। मॉल में ब्रांडेड और बिना ब्रांड का सामान दोनों मिलता है। ब्रांडेड सामान महँगा होता है और यह बड़े शहरी बाज़ारों में और विशिष्ट शोरूमों में बेचा जाता है।
1.वातानुकूलित और बहुमंजिला दुकानें: शहरी इलाकों में बहुमंजिला वातानुकूलित दुकाने होती हैं जहाँ विभिन्न मंजिलों पर अलग-अलग तरह की वस्तुएँ मिलती हैं।
2.ब्रांडेड सामान: ब्रांडेड सामान महँगा होता है और विज्ञापन के माध्यम से इसकी बिक्री की जाती है। केवल कुछ लोग ही इस तरह के महँगे सामान का खर्च उठा पाते हैं।
बाज़ारों की श्रृंखला
दुकानदार अपनी दुकानों के लिए सामान कहाँ से लाते हैं? सामान का उत्पादन कारखानों, खेतों, और घरों में होता है, लेकिन हम सीधे कारखानों और खेतों से सामान नहीं खरीदते। उत्पादक और उपभोक्ता के बीच व्यापारी होते हैं। पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में सामान खरीदते हैं और फिर फुटकर व्यापारी उसे खरीदकर हमें बेचते हैं।
1.थोक व्यापारी: थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में सामान खरीदते हैं और फिर छोटे व्यापारियों को बेचते हैं।
2.फुटकर व्यापारी: फुटकर व्यापारी थोक व्यापारी से सामान खरीदकर उसे उपभोक्ताओं को बेचते हैं।
हर जगह बाज़ार
अलग-अलग जगहों पर विभिन्न तरह के बाज़ार होते हैं। अब तो कई सामान फोन या इंटरनेट पर ऑर्डर देकर भी खरीदे जा सकते हैं और सामान घर तक पहुँचाया जा सकता है। जैसे, नर्सिंग होम और डॉक्टर के क्लीनिक में भी कंपनियों के प्रतिनिधि सामान बेचते हैं।
1.ऑनलाइन खरीदारी: आजकल सामान को फोन या इंटरनेट पर ऑर्डर देकर भी खरीदा जा सकता है और यह आपके घर तक पहुँच जाता है।
2.विविधता: डॉक्टर के क्लीनिक, नर्सिंग होम, और अन्य जगहों पर भी प्रतिनिधि सामान बेचते हैं।
बाज़ार और समानता
साप्ताहिक बाज़ार और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के दुकानदारों में बड़ा अंतर होता है। छोटे व्यापारी सीमित पूंजी से काम करते हैं और कम लाभ कमा पाते हैं जबकि बड़े व्यापारी बड़ी पूंजी से काम करके अधिक लाभ कमाते हैं। इसी तरह खरीदारों की भी आर्थिक स्थिति अलग-अलग होती है।
1.आर्थिक असमानता: साप्ताहिक बाज़ार के छोटे दुकानदार और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बड़े व्यापारी में आर्थिक स्थिति का बड़ा अंतर होता है। छोटे दुकानदार कम लाभ कमा पाते हैं जबकि बड़े व्यापारी अधिक लाभ कमा सकते हैं।
2.उत्पादन और रोजगार: सामान का उत्पादन और बिक्री सीधे तौर पर रोजगार से जुड़ा होता है। उत्पादन बढ़ाने के लिए बिक्री का होना जरूरी है।
इस प्रकार, हमारे आस-पास के विभिन्न बाज़ारों के बारे में जानने से हमें यह समझ में आता है कि वस्तुएँ हमें कैसे उपलब्ध होती हैं और इसके पीछे की पूरी प्रक्रिया क्या है। हम "एक कमीज़ की कहानी" अध्याय में इस श्रृंखला को और विस्तार से समझेंगे।
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